विश्व प्रसिद्ध नेपाल का पर्यटन स्थल पोखरा है। पोखरा में अनेकों सुंदर पर्यटन स्थल है उन्हीं में से एक है फेवा झील और इसी फेवा झील के मध्य में स्थित ताल बाराही देवी का मंदिर धार्मिक रूप से अति महत्वपूर्ण है। यहां स्वदेशी एवं विदेशी सैलानियों की भीड़ लगी रहती है।आज हम फेवा ताल और ताल बाराही मंदिर के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त करेंगे साथ ही यहां यात्रा कैसे करें इसकी भी विस्तृत जानकारी इस लेख में है।
फेवा झील (फेवा ताल)
कास्की जिले के पोखरा घाटी में स्थित फेवा झील नेपाल की दूसरी सबसे बड़ी झील है। यह झील करीब 4 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में फैली हुई है। फेवा ताल समुंद्र तल से 2434 फीट की ऊंचाई में स्थित है।
इस झील की औसत गहराई 8.6 मीटर तथा अधिकतम गहराई 24 मीटर है। इस झील की अधिकार जल क्षमता लगभग 4 करोड़ 30 लाख क्यूबिक मीटर है। यह झील कहीं पर फैली हुई है तो कही सिकुड़ी हुई है। इस झील की मुख्य जल श्रोत हरपन खोला नदी और मर्सी खोला नदी हैं। फेवा ताल नेपाल की दूसरी सबसे बड़ी झील है।
फेवा झील के अन्य प्रसिद्ध नाम क्या हैं?
फेवा ताल फेवा गांव के किनारे है इसलिए इसे फेवा ताल कहते हैं। दूसरी ओर बैदाम गांव है। बैदाम गांव के किनारे होने के कारण भी इसे बैदाम ताल कहते हैं तथा फेवा ताल के बीचों बीच ताल बाराही देवी का मंदिर है इसलिए इसे बाराही ताल भी कहते हैं।
फेवा ताल क्यों प्रसिद्ध है?
फेवा ताल के उत्तर में अन्नपूर्णा हिम श्रृंखलाएं स्थित हैं जो यहां से 28 किलोमीटर की दूरी पर हैं। फेवा ताल माछापुच्छ्रे, धौलागिरी, अन्नपूर्णा, तथा अन्य पर्वत श्रृंखलाओं का प्रतिबिंब के लिए प्रसिद्ध है जो इस झील के पानी में स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है।
ताल बाराही मंदिर
पोखरा में फेवा ताल के मध्य देवी का प्राचीन मंदिर है। जहां मंदिर है वह स्थान टापू जैसा दिखता है। पोखरा का ताल बाराही मंदिर हिंदुओं का धार्मिक आस्था का केंद्र है। झील के बीचों बीच में मंदिर होने के कारण दूर दूर से भक्तजन यहां दर्शन के लिए आते हैं।
पर्यटक ताल बाराही मंदिर क्यों जाते हैं?
यह मंदिर धार्मिक रूप से जितना महत्वपूर्ण है उतना प्राकृतिक रूप से भी महत्वपूर्ण है। भक्तों की मान्यता है कि इस मंदिर में मन्नत मांगने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है।इस मंदिर के बिना फेवा ताल अधूरा है तथा फेवा ताल के बिना यह मंदिर अधूरा।
ताल बाराही मंदिर परिसर से माछापुच्छ्रे हिमालय तथा अन्नपूर्णा हिमालय का प्रतिबिंब फेवा झील में मनोरम लगता है। मंदिर परिसर से अन्नपूर्णा हिम श्रृंखला तथा माछापुछ्रे हिम श्रृंखला को नंगी आंखों से देखा जा सकता है। विश्व शांति स्तूप, सारंगकोट, पुमदीकोट और काहुं डांडा आदि पर्यटन स्थल भी यहां से स्पष्ट दिखाई देते हैं और यहां आने वाले हर पर्यटक का दिल जीत लेते हैं।
ताल बाराही मंदिर का इतिहास
पहली किवदंती
प्राचीनकाल में जहां आज फेवा ताल है वहां पर मानव बस्ती हुआ करता था। एक दिन संध्याकाल में माता ताल बाराही एक वृद्ध सन्यासी के रूप में आई और रात्रिविश्राम के लिए यहां सब से आग्रह किया लेकिन उन्हें किसी ने भी रहने के लिए स्थान नही दिया। अंत में वे एक वृद्ध व्यक्ति के घर में गई। उन्होंने सन्यासी रूपी देवी को रहने के लिए स्थान दिया वे गरीब थीं उनके घर में खाने के लिए सुखी रोटी के अलावा कुछ नही था।
सन्यासी को उन्होंने वही दिया और सन्यासी ने भी खुशी खुशी भोजन ग्रहण कर लिया। प्रातःकाल में जाने से पहले उन सन्यासी ने कहा यह क्षेत्र कुछ ही समय में जलमग्न हो जायेगा इसलिए आप कोई ऊंचे स्थान पर चली जाइए।
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सन्यासी जाने के कुछ क्षण बाद ही उस और जल की प्रचण्ड धारा आने की आवाज सुनाई देने लगी। सन्यासी की सलाह अनुसार उन वृद्ध महिला ने ऊंची पहाड़ी पर जाकर अपनी जान बचाई।
फिर एक दिन भीषण वर्षा हुई वर्षा की बाढ़ में बहकर देवी की मूर्ति अभी जिस स्थान पर बाराही देवी का मंदिर है उस स्थान पर जा पहुंची फिर देवी की कृपा से इस स्थान में एक टापू का निर्माण हुआ बाद में यहां ताल बाराही देवी के मंदिर की स्थापना हुई।
दूसरी किवदंती
दूसरी किवदंती के अनुसार कास्की के राजा कुलमंडन शाह को सपने में मूर्ति स्थापना कर पूजा करने का संकेत मिला इसलिए उन्होंने यहां मंदिर की स्थापना के लिए घास की झोपड़ी बनाकर मूर्ति स्थापना किया। फिर सरकारी रूप से पूजा अर्चना करने की प्रथा शुरू की थी।
यह मंदिर कब अस्तित्व में आया?
मंदिर का अस्तित्व में आने की बात विभिन्न लेखों में भिन्न भिन्न पाया जाता है। एक शिलालेख में सन 1389 का जिक्र मिलता है वहीं दूसरी लेख में सन 1612 का जिक्र मिलता है। इस मंदिर में पूजा का प्रारंभ 1400 हुआ था। नित्य पूजा का प्रारंभ बिक्रम संवत 1811 से प्रारंभ हुआ।
मन्दिर का निर्माण किसने किया?
सामान्य स्थिति में रहा इस मंदिर को तत्कालीन नेपाल के राजा श्री 5 महेंद्र वीर विक्रम शाह ने सन 1960 में निर्माण किया था। तब इस मंदिर की ख्याति और भी बढ़ गई। वर्तमान में पैगोडा शैली का यह मंदिर राजा महेंद्र के द्वारा निर्माण किया गया है।
यहां कौन-कौन प्रवेश कर सकते हैं?
इस मंदिर में सभी धर्मो के लोग प्रवेश कर सकते हैं। इसलिए इस मंदिर में पर्यटकों की भीड़ लगी रहती है।कोजाग्रा पूर्णिमा तथा नौरात्रि सहित अन्य पर्वों पर यहां मेला भी लगता है। फेवा ताल के किनारे से ताल बाराही मंदिर पहुंचने के लिए नाव में 5 मिनट का समय लगता है।
फेवा ताल में सैर करने पर नावों (Boat) में कितना किराया लगता है?
आइए Baot का किराया जानने से पहले यहां ke नियम और शर्तें जान लेते हैं
- Boat में चार लोगों से अधिक नहीं बैठ सकते हैं।
- 5 वर्ष से अधिक उम्र के बच्चो का किराया लगेगा।
- Baot में यात्रा के दौरान लाइफ जैकेट पहनना अनिवार्य है।
फेवा ताल में सैर करने पर Boat का किराया निम्न है।
S.N. | Title | Nepal Rs | Indian Rs |
1 | Go To Barahi temple per person | Rs 105/- | Rs 66/- |
2 | One hour with driver | Rs 900/- | Rs 563/- |
3 | Stupa two way with driver | Rs 1,500/- | Rs 938/- |
4 | Fishtail Loudge one way with driver | Rs 1,000/- | Rs 625/- |
5 | Fishtail lodge two way with driver | Rs 1,500/- | Rs 938/- |
6 | Temple, Stupa way and gurung village two way with driver | Rs 1,400/- | Rs 875/- |
7 | Temple, Gurung village starting point of lake two way | Rs 1,700/- | Rs 1063/- |
8 | Temple, Gurung village starting point of lake, Red hill, fish cage two way | Rs 2,200/- | Rs 1375 |
9 | Temple ratna mandir, Himagriha,kedareswar Dam two way | Rs 2,200/- | Rs 1375/- |
10 | Stupa one way with driver | Rs 900/- | Rs 563 |
11 | Lake house two way | 1,700/- | Rs 1063/- |
पोखरा कैसे जाएँ ?
पोखरा जाने के लिए आप दो ही मार्गों का प्रयोग कर सकते हैं एक है हवाई मार्ग और दूसरा स्थल मार्ग है।
हवाई मार्ग
हवाई मार्ग से आने वाले यात्री सबसे पहले आप दिल्ली हवाई अड्डे से त्रिभुवन विमानस्थल काठमांडू आयें फिर यहाँ से पोखरा के लिए फ्लाइट लें। इसके आलावा नेपाल के हर लोकल हवाई अड्डे से पोखरा के लिए नियमित उड़ाने होती हैं।
काठमांडू से पोखरा जाने के लिए जहाज का किराया One Way नेपाली 4,400 रुपये लगते हैं। इसके आलावा नेपाल के किसी भी हवाई अड्डे से पोखरा की उड़ान के लिए एक तरफ का अधिकतम 7,000 नेपाली रुपये है।
स्थल मार्ग
स्थल मार्ग स आने के लिए भारतीय पर्यटकों को सोनौली बार्डर से सबसे आसन है। आप बस या ट्रेन में आकर सोनौली में उतर सकते हैं फिर यहाँ से बॉर्डर तक बसें चलती हैं जिनका किराया मात्र 130 रुपये है।
बॉर्डर तक आकर आप नेपाल का नजदीकी बेलहिया बस पार्क से पोखरा के लिए गाड़ी में बैठ सकते हैं इसके आलावा यहाँ से नजदीक बुटवल या फिर भैरहवा में पहुंचकर पोखरा के लिए गाड़ी में बैठ सकते हैं। यहाँ से पोखरा का किराया 1000 नेपाली रुपये है। बेलहिया बस पार्क से पोखरा की दुरी 183 किलोमीटर है तथा आप इस दुरी को 6 घंटे तय कर लेंगें। इसके अलावा पोखरा आने वाली गाडी देश के कोने कोने से आती है।
भारत के चार राज्यों की सीमाए नेपाल को छूती हैं। नेपाल के पश्चिम में उत्तराखंड दक्षिण में उत्तरप्रदेश और बिहार तथा पूर्व में सिक्किम राज्य हैं आप अपनी सुविधा अनुसार कहीं से भी पोखरा पहुँच सकते हैं? इस लेख में प्रत्येक स्थान से पोखरा की दुरी एवं किराया बता पाना संभव नहीं है इसलिए मैंने अलग से नेपाल के विभिन्न स्थानों का किराया तालिका बनाया हुआ है। इसे यहाँ से पढियेगा।
पोखरा में कहाँ ठहरें ?
आपको पोखरा में ठहरने की कोई चिंता नहीं है। लेक साइड में अनेकों होटल एवं लोज हैं। आप अपनी सुविधा अनुसार जिस में भी रुकना चाहें रुक सकते हैं। एक रात का किराया 1500 से 2500 नेपाली रुपये है। खाना भी इन्ही लोज में मिल जाता है।
आप अपनी पसंद का खाना खा सकते हैं। खाने का कह्र्च सादा खाना 150 से 200 तथा चिकन मटन खाना 250 से 300 तक नेपाली रुपये में मिल जाता है। चाय यहाँ 20 रुपये की मिलती है।
पोखर कितने दिनों के लिए आयें?
वैसे तो आप अपनी बजट के अनुसार जितने भी दिन पोखरा में ठहरना चाहें ठहर सकते हैं। कम से कम आप 3 दिनों के लिए पोख्रारा आयें क्योंकि यहाँ अनेक पर्यटन स्थल हैं। जिनको आप एक्सप्लोर कर सकते हैं। आ
प पोखरा में इंटरनेशनल माउंटेन म्यूजियम, ताल बारही मंदिर, श्री बिन्ध्याबसिनी मंदिर, गुप्तेश्वर महादेव गुफा, फेवा ताल, डेविस फाल (पाताले छांगो). सारंकोट, गोरखा मेमोरियल म्यूजियम, महेंद्र गुफा, विश्व शांति स्तूप, चमेरे गुफा, पुम्दिकोट महादेव की मूर्ति, बसुन्धरा पार्क, तिब्बती शरणार्थी कैंप, ओल्ड पोखरा बाजार, भीमसेन मंदिर, और पुन हिल आदि स्थानों में घूम सकते हैं।
पोखरा में स्कूटी दैनिक रूप से 1000 से 1200 नेपाली रुपये में मिल जाती है। यदि आप सुबह 7 बजे लेते हैं तो शामको 7 से 8 बजे उन्हें देना होता है इससे आप पोखरा के अनेकों स्थानों पर आसानी से घूम सकते हैं।
इसके आलावा पोखरा से सम्बंधित कोई भी प्रश्न हो तो नीचे कमेंट बॉक्स में जरुर लिखियेगा मैं आपके प्रश्नों का उत्तर देने के लिए तैयार बैठा हूँ। धन्यवाद!
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