वैसे तो भगवन शिव के अनेकों नाम हैं, उन नामों में पशुपतिनाथ भी एक है। तीनों लोकों के मालिक सभी प्राणियों का कल्याण करते हैं इसलिए भगवन शिव हिन्दू के आराध्य देवता हैं। भगवन पशुपतिनाथ की अपने भक्तों पर हमेशा कृपा बनी रहती है।
पशुपतिनाथ अपने भक्तों को लम्बी आयु, धन संपत्ति स्वास्थ्य,यश,कीर्ति प्रगति उन्नति प्रदान करते हैं। पापी से पापी भी इनकी आराधना करने से धर्मात्मा हो जाता है और इस भवसागर से तर जाता है। आज नेपाल की राजधानी काठमांडू में स्थित भगवान् पशुपति नाथ की यात्रा की जानकारी प्रदान कर रहें हैं।
नेपाल की राजधानी काठमांडू में पौराणिक काल से विष्णुदेवी क्षेत्र से बहने वाली बागमती नदी के तट पर प्राचीन श्लेषमान्तक नामक वन है। यहाँ ब्रह्माण्ड का अद्वितीय एवं अपरिमेय भगवान् शिव का महाज्योतिर्लिंग विराजमान है। इस शिवलिंग के अनेक रूप हैं जिनको द्वादश ज्योतिर्लिंग कहते हैं। पूरे भारतवर्ष में विभिन्न स्थानों पर विराजमान हैं।
पशुपतिनाथ मंदिर की विशेषता
पशुपतिनाथ मंदिर पैगोडा शैली में बना है तथा यहाँ के सभी पुरातात्विक और धार्मिक विशेषताए सब पैगोडा शैली में निर्मित की गई है। मंदिर की दो मंजिली छत हैं। दोनों छतों पर सोने और चांदी की पतली परत चढाई गई है। इस मंदिर में चार मुख्य द्वार हैं, जिन्हें चांदी से बनाया गया है।
इस मंदिर के शीर्ष में रखा सोने का कलश धार्मिक और अध्यात्म का उच्च प्रतिक है। मंदिर के पश्चिमी द्वार तथा बाहर से प्रवेश करते ही दिखाई देने वाला नंदी महाराज की बड़ी मूर्ति कांसे की बनी हुई है। यहाँ स्ठित ज्योतिर्लिंग की ऊंचाई 6 फीट है।
पशुपति नाथ के पूर्व में बासुकीनाथ मंदिर है। मंदिर के दक्षिण में 108 शिवलिंग हैं तथा दक्षिण-पश्चिम दिशा में श्री हनुमान जी महाराज विराजमान हैं।
पशुपतिनाथ का किवदंती एवं इतिहास
पौराणिक कथा के अनुसार महाभारत युद्ध के पश्चात पांडवों ने श्री कृष्ण से पूछा की हमने युद्ध में अपने ही लोगों को मारा है इससे हमें गोत्र हत्या का पाप लग गया है इससे हमें मुक्ति कैसे मिलेगी। उसके बाद श्री कृष्ण ने कहा, भगवान् शिव के दर्शन करने से आप सभी को इस पाप से मुक्ति मिलेगी। उसके बाद शिवजी का दर्शन करने के लिए पांडव हिमालय की ओर चल दिए।
उनके दर्शन के लिए पांडव आये हैं यह पता लगने पर भगवान् शिव ने भैंसे का रूप धारण कर भैंस के झुण्ड में चले गए। पांडवों ने भैसे रूप में भगवान् शिव को पहचानकर उनके नजदीक जाकर दर्शन करना चाहा तो भगवान शिव जमीन के अन्दर अंतर्ध्यान हो गए। जैसे ही शिव जमीन के अन्दर धंस रहे थे पांडवों ने उनकी पूंछ को पकड़ लिया। जिस स्थान पर पांडवों ने पूंछ पकड़ा था वह केदारनाथ था।
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उस स्थान पर भगवान् शिव केदारनाथ के रूप में प्रकट हुए और मस्तक नेपाल में रह गया। नेपाल में बागमती नदी के तट पर भगवान् शिव पशुपतिनाथ के रूप में प्रकट हुए। पशु का रूप लेकर प्रकट होने के कारण भगवान् शिव को पशुपतिनाथ कहा गया है। इस प्रकार भैंसे रूपी भगवान् शिव का पूंछ पकड़ने के कारण पांडव गोत्र हत्या के पाप से मुक्त हुए।
दूसरी कथा के अनुसार भगवान् शिव मृग के रूप मेंबागमती नदी के तट पर श्लेष्मान्तक वन में देवी पार्वती के साथ विहार कर रहे थे। इसी बीच भगवान् विष्णु, ब्रह्मा जी और देवराज इंद्र भगवान् शिव की खोज में निकल पड़े। ढूंढते हुए तीनों देवता नेपाल के बागमती के तट में मृग्स्थली में पहुंचें।
यहाँ उन्होंने भगवान् शिव को मृग रूप में पार्वती के संग विचरण करते हुए देखा और मृगरुपी भगवान् शिव का को पकड़ने के लिए उनके सिंग पर पकड़ा। जैसे ही सिंग पकड़ा सिंग के तिन टुकड़े हो गए। इसी कथा के अनुसार भगवान् शिव को पहुओं का मालिक अर्थात पशुपतिनाथ कहते हैं।
पशुपतिनाथ मंदिर की दैनिक कार्यतालिका
समय | कार्यक्रम |
प्रातः 8 बजे | मंदिर के द्वार खुलते हैं। |
प्रातः 8:30 बजे | मंदिर के मूल भट्ट और पुजारियों का मंदिर में आगमन पश्चात भगवान् की मूर्ति तथा वर्तनों को जल से साफ कर कपडे से पोंछ लिय्या जाता है फिर मूल भट्ट और अन्यों द्वारा नित्य पूजा आरम्भ |
प्रातः 9:30 बजे | भगवान् के लिए बालभोग प्रस्तुत किया जाता है |
प्रातः 10 बजे | स्वागत पूजा तथा नित्य पूजा प्रारंभ |
दोपहर 1:45 बजे | पूजा समाप्त होकर भगवान् को मूलभोग प्रस्तुत किया जाता है |
दोपहर 2 बजे | मंदिर के चारों द्वार बाद किये जाते हैं |
दोपहर 2 से 5 बजे | विश्राम |
संध्या 5:15 बजे | पुनः द्वार खोल मंदिर में नित्य आरती एवं जलाभिषेक |
संध्या 6 बजे | बागमती गंगा आरती ( बागमती समूह द्वारा 11 शिवलिंगों के आगे आरती प्रस्तुत) |
संध्या 7 बजे | सभी द्वार बंद किये जाते हैं |
पशुपतिनाथ में नित्य पूजा
भगवान् पशुपतिनाथ जी के मूल मंदिर एवं वासुकिनाथ मंदिर में नित्य पूजा पूरी विधि विधान के साथ होती है। यहाँ आस पास के मंदिरों में भी नित्य पूजा के स्था विशेष पर्व पूजा किया जाता है।
पशुपतिनाथ में विशेष पूजा शुल्क
पशुपति विकास कोष ने सन 1998 में विशेष पूजा के लिए कार्यविधि तैयार कर भक्तों की सुविधा के लिए विशेष पूजा शुल्क निर्धारित किया है। श्रद्धालु अपनी इच्छा अनुसार रु. 1100, 2100, 5100, 11,000, 27,000, 55,000, 1,56,000, 2,51,000, 5,51000 तथा इससे भी बड़ी धनराशी के विशेष पूजा कर सकते हैं।
इसी प्रकार वासुकिनाथ के मंदिर में दुग्धार्पण सेवा नेपाली 255 रुपये और दैनिक नित्य पूजा शुल्क नेपाली 505 रुपये लेकर विशेष पूजा कर सकते हैं।
पशुपतिनाथ के विशेष त्यौहार
यहाँ के विशेष त्यौहार महाशिवरात्रि, हरितालिका तीज, बाला चतुर्दशी, श्रावण मास सोमवार, मकर संक्रांति दशहरा, दीपावली, छठ पर्व, होली, रक्षाबंधन और घोड़े जात्रा हैं।
पशुपतिनाथ कब जाएँ?
आप पशुपतिनाथ मंदिर साल में किसी भी समय जा सकते हैं । लेकिन वर्षातकाल में नेपाल की यात्रा न करें क्योंकि नेपाल भूभाग वाला क्षेत्र है यहाँ पहाड़ी मार्गों पर भूस्खलन होती है। रास्ते में आपको कई दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। इसके आलावा आप ऊपर बताये गए पर्वों में जा सकते हैं।
पशुपतिनाथ कैसे जाएँ?
भारत से तिन ओर से घिरा होने के कारण नेपाल आने के लिए कई रास्ते हैं। जिसके लिए मैंने एक Dedicated आर्टिकल लिखा है जिसको आप यहाँ क्लिक करके पढ़ सकते हैं। मैं यहाँ रक्सौल और सोनौली से काठमांडू पहुंचे ने के बारे में बताऊंगा।
1- सोनौली से काठमांडू कैसे पहुंचें?
भारत के किसी भी जगह से सबसे पहले गोरखपुर आयें रेलवे स्टेशन से थोड़ी दूर सोनौली के लिए बसें चलती हैं उनमे बैठकर सोनौली बॉर्डर आयें तथा सोनौली बॉर्डर पार कर बेलहिया बस पार्क आयें यहाँ से काठमांडू के लिए बसें चलती रहती हैं।
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अगर आपको यहाँ से पसंद की बस न मिले तो यहाँ से 25 किलोमीटर दूर बुटवल आकर यहाँ से रात्रिकालीन बसें काठमांडू के लिए चलती रहती हैं उनमे बैठकर काठमांडू आयें। ये बसें आपको नया बस पार्क उतार देंगी। नया बस पार से पैदल बाहर आकर गौशाला वाली सिटी बस में बैठिएगा ये बसें गौशाला उतार देंगी बस गौशाला से उत्तर की ओर कुछ ही दुरी पर पशुपतिनाथ का मंदिर है।
2- रक्सौल बॉर्डर से काठमांडू कैसे पहुंचें?
आप सीधे दिल्ली ससे रक्सौल बस से पहुँच सकते हैं। नहीं तो आ गोरखपुर तक ट्रेन फिर वहां से बिहार पटना होते हुए रक्सौल पहुँच सकते हैं। यह बॉर्डर बिहार के पटना होते हुए आने वाले यात्रियों के लिए सुविधाजनक है। रक्सौल बॉर्डर पार कर आप मध्य नेपाल बीरगंज पहुँच जायेंगें फिर यहाँ से आप बस में या लोकल टैक्सी में बैठकर 4 से 5 घंटे में काठमांडू पहुँच जायेंगें।
काठमांडू में कहाँ ठहरें?
काठमांडू में रहने के लिए बहुत से बजट होटल मिल जायेंगें। गौशाला में गौशाला धर्मशाला है। यहाँ रहने का सस्ता है 2 लोगों के रहने के लिए 250 नेपाली रुपये प्रतिदिन के चार्ज गलते हैं। खाना भी यहाँ एक भोजनालय है दैनिक शाकाहारी खाना नेपाली 100 रुपये में एक खुराक मिल जाती है। अगर आपके पास कीमती सामान हैं वो आपको खुद ही सुरक्षित करनी पड़ेगी।
अगर आप होटल में रुकते हैं तो बजट होटल आपको 700 से 1500 के बीच में मिल जाएगी जिसमे आपको वाई फाई फ्री मिलेगी होटल में खाने का एक खुराक का सदा खाना 150 है।
मुझे आशा है की आपको पशुपतिनाथ घुमने की सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त हो गई है। अगर आपके मन में कोई भी प्रश्न हो तो कृपया कमेन्ट बॉक्स में लिखिए मैं आपके प्रश्न का जवाब दूंगा।
FAQ
Q. काठमांडू एयरपोर्ट से पशुपतिनाथ मंदिर कितनी दूर है?
Ans – 5 किलोमीटर
Q. पशुपतिनाथ मंदिर में कौन प्रवेश कर सकता है?
Ans – केवल हिन्दू ही प्रवेश कर सकते हैं।
Q. भारत से काठमांडू कैसे जाये?
Ans – आप सीधे दिल्ली से काठमांडू के लिए फ़्लाई ले सकते हैं। इसको अलावा बह से
Q. गोरखपुर से काठमांडू का बस का किराया कितना है?
Ans- 1000 से 1200 रूपय तक
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