नमस्कार! नेपाल प्राकृतिक रूप से बहुत ही सुंदर देश है। यहां बहुत सारे सुंदर पर्यटन स्थल छिपे हुए हैं। उन्हीं में से एक है, घोरेपानी। आज की हमारी यात्रा घोरेपानी की है। मैं अक्सर नेपाल के छिपे हुए पर्यटन स्थलों के बारे में बताते रहता हूं ताकि आप नेपाल के सुंदर स्थानों का भ्रमण कर सकें। आज हम घोरेपानी पुन हिल कैसे जाएं? कहां ठहरें? सब जानकारी एक ही लेख में प्रदान करेंगें।

घोरेपानी पुन हिल से सुर्योदय का सुंदर नजारा देखते ही बनता है। सर्वप्रथम सुर्योदय अन्नपूर्ण हिमालय मे होती है। उसके बाद धौलागिरी हिमालय सूरज की किरणों से जगमगा उठती है। यहां से दिखने वाले हिमालय अन्नपूर्णा साउथ, नीलगिरी, धौलागिरी तथा टुकुछे से लेकर गुर्जा हिमालय का संपूर्ण दृश्य अवलोकन कर सकते हैं।
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घोरेपानी कहां से जाएं?
सर्वप्रथम आप भारत से पोखरा पहुंचिए इसके लिए मैने अपने दूसरे लेख में भारत से नेपाल आने की संपूर्ण जानकारी लिखा हुआ है जिसे आप नीचे क्लिक करके पढ़ सकते हैं।
पोखरा लेक साइड से बस में चढ़ने के लिए हमें बागलुंग बस पार्क में जाना पड़ता है। प्रातः 8 और 9 बजे दो बसें उल्लेरी गांव की तरफ जाती हैं। उसके बाद कोई बस नहीं हैं। बागलुंग हाइवे होते हुए करीब 3 से 4 घंटे में उल्लेरी पहुंचा जा सकता है।
इस रास्ते में जब बस धीरे – धीरे ऊंचाई की ओर बढ़ती है, खिड़की से उत्तर तरफ के अन्नपूर्ण तथा माछापुछ्रे हिमालय का विहंगम दृश्य दिखाई देता है। यात्रा के 40 मिनट पश्चात लुंगले नामक स्थान में बस खाना खाने के लिए रुकती है। नया पुल पहुंचने पर बस बागलुंग हाइवे को छोड़कर घानद्रुक जाने वाले मुख्य मार्ग की ओर बढ़ती है। नया पुल में गाड़ी 10 मिनट रुकती है।

पिछले कुछ वर्षों से नया पुल गांव से बाजार में बदल गया है। यहां दैनिक उपभोग की हर वस्तुएं मिलती हैं। कास्की, पर्वत और म्याग्दी जिलों का मुख्य बाजार भी यही है।कास्की का घानद्रुक, पर्वत का भुकादेवराली, म्याग्दी तथा घोरेपानी आदि क्षेत्रों का मुख्य बाजार भी यही है।
अन्नपुर्ण बेस कैंप जाने वाला मार्ग भी यही है। इसलिए नया पुल एक जंग्शन के रूप में विस्तार हो रहा है। नया पुल से गाड़ी आगे बढ़ने पर धोती खोला का पुल पार करके फिर मोदी खोला का पुल आता है। मोदी खोला के किनारे बीरेठाँटी बाजार बसा हुआ है।
बीरेठाँटी बाजार से कुछ दूरी पर घान्द्रुक हिमालय की ओर जाने वाली पक्की सड़क को छोड़कर गाड़ी बायां मुड़ती है, यहां से आगे की यात्रा कच्ची सड़क पर है।
उल्लेरी गांव
समुद्र तल करीब 2000 मीटर की ऊंचाई पर उल्लेरी गांव है। अन्नपुर्ण क्षेत्र का छोटा एवं सुंदर गांव है। अन्नपुर्ण ट्रैकिंग का प्रथम पड़ाव यह गांव मगर समुदाय का निवास स्थान है।
पुरानी परंपराएं और मगर संस्कृति से सम्पन्न इस गांव में आजकल पुराने और नए किस्म के घर दिखाई देते हैं। यह गांव पत्थर शिल्पकारी के लिए भी प्रसिद्ध है। पोखरा से उल्लेरी का बस किराया 600 रुपए प्रति व्यक्ति है और बस का अंतिम पड़ाव यही गांव है। पोखरा से यहां पहुंचने में 4 घंटा लग जाते हैं। यहां से 3-4 घंटे की पदयात्रा के पश्चात घोरेपानी पहुंचा जा सकता है।

उल्लेरी में ठहरने की व्यवस्था
उल्लेरी में पर्यटकों के लिए बहुत सारे आरामदायक होटल तथा होमस्टे हैं। चाहे तो आप यहां रुक सकते हैं या पदयात्रा शुरू कर सकते हैं। पदयात्रा के दौरान बीच बीच में चाय नाश्ता एवं विश्राम करने के लिए बहुत सारे होटल भी हैं। चिंता की कोई जरूरत नहीं है।
उल्लेरी से घोरेपानी
घने घरों के बीच से शुरू होती है घोरेपानी पुन हिल की यात्रा। उल्लेरी गांव में पत्थर की 3000 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती है। गांव के बीच में चौड़ा पद मार्ग है। प्रायः नेपाल में ट्रैकिंग करते वक्त एकदम तेज चलना सही नहीं होता है। शुरू में धीरे धीरे कदम बढ़ाना और शरीर को अभ्यस्त बनाना सही रहता है। शुरू में ही थकना अच्छा काम नहीं है।
यह पदयात्रा दो जिलों से होकर गुजरती है पहले कास्की फिर म्याग्दी। उल्लेरी से कुछ दूरी पर समुद्र तल से 2200 मीटर की ऊंचाई पर वनठाँटी पड़ता है। यहां चाय नाश्ते से लेकर रात्रि विश्राम के लिए भी होटल हैं। इस जगह तक सड़क है अगर आप छोटी गाड़ी में आते हैं तो वनठाँटी तक गाड़ी से पहुंच सकते हैं।

बस से केवल उल्लेरी तक ही।वनठाँटी से मोहरे डांडा पदमार्ग के लिए भी जाया जा सकता है। इसके बारे में किसी और दिन बात करेंगें। थोड़ी दूरी पर सड़क खत्म हो जाती है फिर शुरू होती है छोटे मार्ग से ट्रैकिंग। शायद भविष्य में यह सड़क घोरेपानी तक पहुंचेगी।ट्रैकिंग करते हुए आगे बढ़ने पर जंगल का रास्ता है। यहां के जंगलों में अधिक संख्या में बंदर पाए जाते हैं।
नया ठाँटी
सुंदर झरनों को निहारते हुए 1 घंटे में नया ठापहुंचा जा सकता है। यहां चाय नाश्ता के लिए होटल हैं। एक कप कॉफी पीने पर नेपाली 100 रुपए देने होंगे। यह स्थान समुद्र तल से 2460 मीटर की ऊंचाई पर अवस्थित है। यहां से घोरेपानी 2 घंटे में पहुंचा जा सकता है। इस पद मार्ग में विदेशी पर्यटक बहुत आते हैं और सबको नमस्ते करते हुए आगे बढ़ते हैं।

नांगे ठांटी
कुछ समय के पैदल पश्चात नांगे ठांटी आता है। यहां रात्रि विश्राम के लिए होटल बने हुए हैं। यहां से घोरेपानी 1.5 घंटे का रास्ता है। रास्ता एकदम आसान है। गदेरा पार करने पर और भी अधिक होटल हैं। गंडकी क्षेत्र में अधिकतर मगर, गुरुंग, राई, लिम्बु जाति के लोग रहते हैं। इनका अतिथि सत्कार बड़ा जबरदस्त होता है। होटल तथा होमस्टे वाले लोग अपने परिवार के सदस्यों जैसा व्यवहार करते हैं।
डिठा
नांगेठांटी से कुछ समय पश्चात डिठा नामक स्थान पडता है। डिठा में भी चाय नास्ता के होटल हैं। यही जगह है कास्की और म्यागदी की सीमा क्षेत्र। डिठा से 40 मिनट पश्चात घोरेपानी पहुँचा जा सकता है।
घोरेपानी
घोरेपानी एक विशाल गांव है तथा पुन हिल इसके ठीक उपर की पहाडी है। घोरेपानी में बहुत सारे होटल हैं। इसके ठीक उपर देउराली है। यहां इंडियन, चाईनीज, नेपाली सब प्रकार का खाना मिलता है।
घोरेपानी से पुन हिल
घोरेपानी से पुन हिल 45 मिनट का पैदल रास्ता है। यह समुद्र तल से 3210 मीटर की ऊंचाई पर स्थित एक सुंदर पहाड़ी है। जहां से संपूर्ण हिमालय का विहंगम दृश्य अवलोकन किया जा सकता है। इसलिए जब भी आप घोरेपानी आए पुन हिल जरूर जाए।
पुन हिल से आप क्या देख सकते हैं?
प्रातः कालीन सूर्योदय का दृश्य के लिए पुन हिल बहुत ही खास जगह है। यहां एक टी स्टाल है। हिमालय को देखने के लिए एक व्यू टावर है। इस स्थान से चारों ओर का संपूर्ण नजारा देखा जा सकता है। और उत्तर की तरफ 180 डिग्री सारे हिमालय अपने आंखों के सामने तथा नजदीक से दिखाई देते हैं।
पुन हिल हिल की विशेषता, प्रातः कालीन सूर्योदय तथा सूर्यास्त का खूबसूरत नजारा बड़ा ही मनमोहक लगता है। जब भी आप यहां जाएं आपको बताता हूं पूरब से पश्चिम तक यहां के हिमालय का दृश्य किस प्रकार से है।

- पूर्व में लमजुंग हिमालय रेंज
- उसके बाद मनास्लु हिमालय का रेंज,
- माछापुछ्रे हिमालय रेंज
- बटरफ्लाई रेंज
- अन्नपूर्ण साउथ रेंज
- बराह शिखर रेंज
- इसके ठीक पीछे अन्नपूर्ण 1 रेंज
- नीलगिरी हिमालय
- नीलगिरी हिमालय के ठीक नीचे झांगसुंग एयरपोर्ट है।
- इसी के ठीक नीचे किनारे पर तिलिचो लेक है।
- टुकुचे हिमालय,
- धौलागिरी हिमालय रेंज,
- धौलागिरी 1,
- धौलागिरी 2,
- धौलागिरी 3,
- धौलागिरी 4,
- धौलागिरी 5 तक है।
- उसके लास्ट में धौलागिरी गांव पालिका का गुर्जा हिमालय दिखाई देता है।
उसी तरफ ढोरपाटन पड़ता है।पुन हिल के अलावा नेपाल में कोई भी व्यू टावर ऐसा नहीं है। जहां से नंगी आंखों से हिमालय को नजदीक से देखा जा सके।
संक्षेप में पुन हिल का इतिहास
पुन हिल को पहले लुंगखुंग का डांडा कहते थे। यहां के स्थानीय लोग अपनी भेड़ बकरियों तथा गाय भैंसों के साथ इस पहाड़ी के नीचे स्थाई रूप से रहते थे। स्वर्गीय मेजर टेक बहादुर पुन ने इस पहाड़ी पर आकर चारों ओर का दृश्य अवलोकन किया।
यहां के पुन जाति के लोग पिछड़े हुए हैं यदि इस पहाड़ी का नाम पुन हिल रखा जाए तो संपूर्ण विश्व पुन जाति के लोगों को पहचानेगा इसी उद्देश्य के कारण उन्होंने आज से 40 वर्ष पहले इसे पुन हिल नाम दिया।
पुन हिल पहले एकदम खाली पहाड़ी थी। बाद में यहां के स्थानीय लोगों ने वृक्षारोपण किया और इन वृक्षों का संरक्षण किया कांटेदार तार चारों ओर लगाए। यहां के जंगल में ज्यादातर नेपाल का राष्ट्रीय फूल बुरांश के पेड़ हैं।
यहां के स्थानियों का कहना है कि मनुष्य द्वारा लगाए गए वृक्षों की तुलना में प्राकृतिक रूप से उगने वाले वृक्ष जल्दी बढ़ते हैं।पुन हिल के कारण यहां के 43 घर, खेबांग गांव सहित इसके आसपास के गांव के लोगों को रोजगार मिला है।
घोरेपानी का संक्षिप्त परिचय
घोरेपानी से 18 हिमालय दिखाई देते हैं। घोरेपानी हाल का एकदम व्यस्त पर्यटन गांव है। पहले जब सड़कें नहीं थीं उस समय पोखरा से मुस्तांग जाने वाला मार्ग यहीं था। तिब्बत से नमक ढोने के लिए कुशमा पर्वत तथा कास्की होते हुए तिब्बत जाने वाला प्रमुख मार्ग यही था।
उस समय मुस्तांग जोमसोम के घोड़े तथा खच्चर तिब्बत से दाने वाला नमक ढोकर पोखरा जाते थे। ऊपरी क्षेत्र मनथंग के राजा भी वर्ष में एक बार करीब 300 घोड़े लेकर काठमांडू जाते थे। यहां आज से 59 वर्ष पहले से पर्यटन गतिविधि शुरू हुआ।

इससे पहले टूरिज्म के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। स्वर्गीय मेजर टेक बहादुर पुन ने लुंगटुंग पहाड़ी को पुन हिल नामकरण करने के पश्चात यहां टूरिस्ट गतिविधियां शुरू हुई। घोरेपानी में 143 घर हैं। जिसमें 24 एकदम बढ़िया स्टैंडर्ड होटल हैं।
घोरेपानी पुन हिल एक ही स्थान का नाम है?
बहुत से लोग घोरेपानी पुन हिल एक ही जगह का नाम समझते हैं। वास्तव में घोरेपानी नीचे का गांव है जबकि पुन हिल ऊपर की पहाड़ी है। जहां से सारे हिमालय दिखाई देते हैं। घोरेपानी में हाल नीचे और ऊपर दो गांव दिखते हैं।
लेकिन वास्तविकता इस प्रकार है। पुन हिल सबसे ऊपर की पहाड़ी है। उसके नीचे घोरेपानी देऊराली जहां बस्ती बसा है उस स्थान का नाम है। यह बाद में विकसित हुआ स्थान है।नेपाली भाषा में थोड़ी ऊंचाई वाले स्थान को देऊराली कहते हैं।
ओरिजनल घोरेपानी उससे नीचे की बस्ती को कहते हैं। कुछ लोग इसे घोड़ेपानी कहते हैं वास्तव में इस स्थान का असली नाम घोरेपानी है। किंवदंती के अनुसार दोनों पहाड़ी के तलहटी पर एक संकरा रास्ता बना जिसे नेपाली में “घोरेटो” कहते हैं। इसमें बरसात का पानी जमने के कारण इसका नाम घोरेपानी पड़ा।
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