पोखरा सुन्दर शांत और प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण स्थान है। जहाँ धार्मिक स्थलों से लेकर प्राकृतिक संरचनाएं इसकी महत्व बढ़ाते हैं। इन पोखरा के धार्मिक स्थलों में से एक विन्ध्यवासिनी मन्दिर पोखरा में हिन्दुओं का प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है। आज हम माँ बिन्ध्यबासिनी मंदिर की महत्व एवं यात्रा की जानकारी प्राप्त करेंगें ।
वैसे तो नेपल देश बहुत ही खूबसूरत देश है, यहाँ की कला संस्कृति , बोली, भाषा और संस्कृति निराली है। पोखरा भी अपने आप में एक खूबसूरत नगरी है , यहाँ स्थित विभिन्न धार्मिक एवं पर्यटन स्थल Pokhara की सुंदरता में चार चाँद लगाते हैं।
Pokhara में प्रतिवर्ष हजारों लाखों की संख्या में देश -विदेश से पर्यटक घूमने के लिए आते हैं। यहाँ स्थित विभिन्न स्थल जैसे – फेवा ताल , ताल बाराही मंदिर , अन्नपूर्णा हिमालय , और शांति स्तूप इत्यादि धार्मिक एवं पर्यटन स्थल यहाँ की शोभा बढ़ाते हैं।
आज हम आपको पोखरा की गोद में बसा Bindabasini temple pokhara Nepal के बारे में बताएँगे। यह मंदिर पोखरा के मुख्य शहर से कुछ दुरी पर है, इस स्थान का नाम स्थानीय भाषा में बगर कहते हैं। विशेषतः इस मंदिर में श्री माँ विंध्यवासिनी की पूजा-अर्चना करने के लिए श्रद्धालुगण यहाँ आते हैं।
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विन्ध्यवासिनी मन्दिर पोखरा का इतिहास
Pokhara के इतिहास का साक्षी Bindabasini temple मंदिर को कब और किसने बनाया अभी तक इसका कोई लिखित प्रमाण नहीं है। कास्केरी राजा सिद्धि नारायण शाह ने बिक्रमी संबत 1845 में मंदिर की पूजा-अर्चना के लिए आधिकारक स्वरुप सनद और लाल मोहर एक ब्राह्मण को दिया तब सेअब तक 7 पुरखो तक एक ही ब्राह्मण के परिवार पूजा अर्चना करते आ रहे हैं। इस मंदिर का वर्तमान स्वरुप बिक्रमी संबत 1845 के समय का है।
कास्की जिले के मध्यभाग में स्थित यह मंदिर 1.37 Hectare में फैला है। इस मंदिर के चारो तरफ कुछ समतल भूमि है। Pokhara Valley से उचाई में स्थित इस मंदिर से चारों तरफ का नजारा देखते ही बनता है।
यहाँ से अन्नपूर्ण हिमालयों की चोटियां क्रमागत प्रथम 8091 मीटर , द्वितीय 7937 मीटर, तृतीय 7555 मीटर, चतुर्थ 7525 मीटर के आलावा Mardi Himalaya 5771 मीटर, घान्द्रुक हिमालय शिखर 6441 मीटर , लमजुङ 6983 मीटर और मचापुछ्रे 6997 मीटर को नंगी आंखों से देखा जा सकता है।
Bindabasini temple ऊंचाई में होने के कारण कुछ अपांग और चलने में असमर्थ दर्शनार्थी को उनके परिवार के सदस्य अपनी पीठ में यहाँ लेकर आते हैं।
Bindabasini temple में दैनिक 500 से लेकर 3000 से भी ज्यादा श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं। विशेषतः नवरात्रों, अश्विन शुक्लपक्- चैत्र शुक्लपक्ष और अन्य महत्वपूर्ण धार्मिक त्यौहार और पर्वो में श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है।
Bindabasini temple मंदिर गुम्बद शैली में निर्माण हुवा है। मंदिर के ऊपर स्वेत अष्टभुजाकार पट्टियां हैं। मंदिर के चोटी में तांबे की छतरी लटकी हुई है। मंदिर के चारों तरफ विक्रमी संवत १८९६ में चढ़ाये गए घंटे हैं। मंदिर के मुख्य द्वार पर पित्तल से निर्मित दो सिंह दोनों और रखे गए हैं जो मंदिर की शोभा को बढ़ाते हैं।
बिन्दाबासिनी मंदिर के आसपास गणेश, सरस्वती, अष्टचिरञ्जीवी, शिव, हनुमान, राधा-कृष्ण और नवग्रह के मंदिर हैं। मंदिर के आस पास विभिन्न हस्तकलाओं से निर्मित वस्तुए मिलती है। इस मंदिर में सुरक्षा कर्मी भी तैनात हैं, जो विभिन्न धार्मिक पर्वो पर आवश्यकता अनुसार बढ़ाये जाते हैं। मंदिर के पास में ही एक पार्क है जिसकी देखभाल मंदिर समिति के कर्मचारी करते हैं इसके साथ ही वे प्रत्येक व्यक्ति पर निगरानी भी रखते हैं जो यहाँ घूमने के लिए आते हैं।
Bindabasini temple में प्रातः 4 बजे से 6 बजे तक नित्ये पूजा होती है, एवं सांध्यकाल में आरती होती है और इस मंदिर में श्रद्धालुगण प्रातः 4 बजे से शामको 7 बजे तक दर्शन करते हैं।
बिन्दाबासिनी मंदिर में मन्नत मांगने से भक्तों की हर मनोकामना पूरी होती है ऐसा जन विश्वास है। इसलिए यहाँ अमेरिका , बेलायत , फ़्रांस इत्यादि देशों के आलावा इंडिया से भी बहुत से भक्तगण यहाँ दर्शन करने आते हैं।
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धनवाद !
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