हरियाली से ढका समतल मैदान, पहाड़ी ढलानों पर खिले रंग बिरंगी सुंदर फूल, चरागाहों में चरते पशुओं का झुंड, मधुर स्वर में गाती चिड़ियां, हिमालय का मनमोहक दृश्य, क्षण क्षण में बदलता मौसम कभी पड़ती बारिश कभी खिलती धूप। कोलाहल मुक्त, शीतल वातावरण है तो यह ढोरपाटन ही है।
परिचय:
पश्चिमी नेपाल का ढोरपाटन क्षेत्र धौलागिरि हिमशृंखला के अंतर्गत पड़ता है। नेपाल के तीन जिले रुकुम का 60%, म्याग्दी का 14% तथा बागलुंग जिले का 26% भूभाग में फैले ढोरपाटन शिकार आरक्षण का क्षेत्रफल 1,325 वर्ग किलोमीटर है। यह क्षेत्र समुंद्र तल से 2,850 मीटर से 5,500 मीटर की ऊंचाई पर अवस्थित है।
ढोरपाटन में 32 प्रकार के स्थानधारी प्राणि, 164 प्रजाति की पक्षियां तथा 3 प्रकार के सरीसृप वर्ग के प्राणि पाए जाते हैं।
रुकुम का “टक” तथा ढोरपाटन से लेकर बूर्तीबांग तक के क्षेत्र को “टकसेरा” कहा जाता है।
यह क्षेत्र म्याग्दी जिले के गुरजाघाट से रूकूम जिले के निसेलढोर तक फैला हुआ है। इसके उत्तरी सीमा में पुथा, गुर्जा तथा चुरेन हिमालय हैं।
बागलुंग जिले का प्रमुख पर्यटन स्थल ढोरपाटन नेपाल का एक मात्र शिकार क्षेत्र है। इस क्षेत्र को मुख्य रूप से कृषि, साहसिक पर्यटन, सौंदर्यता अवलोकन तथा शिकार के लिए जाना जाता है।
नेपाल सरकार ने ढोरपाटन को नेपाल के 100 पर्यटन स्थलों की सूची में रखा है। ढोरपाटन में तिब्बती कैंप भी हैं। उन कैंपों में तिब्बत के 16 परिवार रहते हैं।
स्थापना:
ढोरपाटन शिकार आरक्षण की स्थापना सन 1983 में किया गया लेकिन इसको सरकारी मान्यता सन 1987 में मिली थी। इस क्षेत्र में शिकार के लिए विदेशी पर्यटक ही आत हैं।
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ढोरपाटन घाटी की हरियाली 8 किलोमीटर क्षेत्र में फैली हुई है। शरद ऋतु में यहां बर्फ गिरती है। बर्फ गिरने पर ढोरपाटन घाटी का दृश्य स्विट्जरलैंड जैसा दिखता है, इसलिए इसे नेपाल का मिनी स्विट्जरलैंड भी कहते है।
मुख्य पर्यटन स्थल:
चारों तरफ हिमालय की चोटियां, सामने लाल रंग में रंगी पहाड़ियां, नीचे हरा भरा जंगल तथा चारों ओर सुंदर मानव बस्ती इन सब के मध्य से कल कल बहती स्वच्छ उत्तर गंगा नदी यहीं हैं, ढोरबराह, उत्तरगंगा, बाइस धारा जैसे अनेकों अति प्राचीन धार्मिक और ऐतिहासिक स्थल जिनके बारे में कम ही लोग जानते हैं।
उत्तरगंगा नदी:
ढोरपाटन के मध्य से बहने वाली उत्तरगंगा नदी का प्रवाह उत्तर की ओर है। सामान्यतः उत्तर की तरफ बहने वाली नदियां विश्व में कम ही पाई जाती हैं। बराह पुराण तथा स्कंदपुराण जैसे अनेकों धार्मिक ग्रंथों में उत्तर की ओर बहने वाली नदी को अत्यंत पवित्र माना गया है।
अपने परिवार जनों के स्वर्गारोहण पश्चात उनकी जन्मकुंडली उत्तरगंगा नदी में बहाने की प्रथा यहां आज भी प्रचलित है।
नेपाल में उत्तर की ओर बहने वाली 2 ही नदियां हैं। पहली ललितपुर में कर्मनसा नदी एवं दूसरी ढोरपाटन में उत्तरगंगा नदी।
ढोरबराह धाम:
ढोरबराह मंदिर तथा उत्तरगंगा धाम अति प्राचीन तीर्थ स्थल हैं। यहां के लोग ढोरबराह मंदिर में भेड़ की बलि देकर पूजा अर्चना करते हैं। जनविश्वास के अनुसार यहां मांगी गई मन्नत कभी निष्फल नहीं होती है। यहां बागलुंग, रुकुम, म्याग्दी सहित देश के विभिन्न क्षेत्रों से लोग पूजा अर्चना के लिए आते हैं।
ढोरबराह में कभी न सूखने वाली बाइस जलधाराएं हैं। इन जलधाराओं में स्नान कर पूजा करने तथा यहां का जल घर में लेकर छिड़कने से किसी भी प्रकार के अनिष्ट से मुक्ति मिलने का जनविश्वस है। ढोरबराह की उन 22 जलधाराओं से ही उत्तरगंगा की उत्पत्ति हुई है इसलिए ढोरपाटन में उत्तर की तरफ बहने वाली उत्तरगंगा नदी का उद्गम स्थल ढोरबराह मंदिर है।
यहां प्रत्येक वर्ष श्रावण शुक्ल पूर्णिमा (रक्षाबंधन) के दिन बहुत बड़ा मेला लगता है।
रुद्रताल:
ढोरबराह में पूजा करने से पूर्व श्रद्धालु ढोरपाटन के दक्षिण पहाड़ी पर स्थित रुद्रावती गंगा के उद्गमस्थल रुद्र ताल में जाते हैं। रुद्र ताल में स्नान और पूजा करने के बाद ढोरपाटन देउराली में फूल चढ़ाते हैं। अंत में ढोरबराह मंदिर में जाते हैं इसलिए इस मंदिर की पूजा रुद्रताल से शुरू होती है। यहां पूजा करने के बाद भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
इस झील से निकली रुद्रावति नदी गुल्मी जिले में आकर काली गंडकी नदी में मिल जाती है इसलिए इतिहास के अनुसार इस क्षेत्र का नाम रुद्रवेणी है।
बुकी क्षेत्र:
हिमालय के मध्य घास के मैदान को बुग्याल कहते हैं और इनमें खिले असंख्य रंग बिरंगी फूलों को एक साथ “ बुकी” के नाम से जाना जाता है।
ढोरपाटन में आने वाले अधिकांश पर्यटकों को बुकी क्षेत्र के बारे में पता नही है। बुकी क्षेत्र प्राकृतिक सौंदर्यता से भरपूर है। बुकी क्षेत्र में जाने के लिए सड़क नहीं है। यहां स्थानीय लोग भेड़ों को चराने के लिए लाते हैं। बुकी से होते हुए गुरिल्ला पद मार्ग रुकुम और रोल्पा जिले को जोड़ती है।
कैसे पहुंचें?
- ढोरपाटन से 4 से 5 घंटे पैदल चलने पर बुकी क्षेत्र में पहुंचा जा सकता है।
- ढोरपाटन पहुंचने के बाद यहां से जलजला जाने के लिए 22 किलोमीटर कच्ची सड़क है। उत्तरगंगा नदी के किनारे किनारे जलजला पहुंचने के बाद यहां से दर्जनों हिमालय करीब से देख सकते हैं। जलजला से बुकी पहुंचने के लिए दिनभर पदयात्रा करनी पड़ती है।
बुकी कब जाएं?
बुकी क्षेत्र में नवंबर से ठंड बढ़ना शुरू हो जाता है। यहां रह रहे चरवाहे निचले स्थानों में चले जाते हैं इसलिए नवंबर से मई तक बुकी सुनसान रहता है।
बुकी क्षेत्र में जाने का सबसे अच्छा समय जून माह से सितंबर तक है। बरसात के समय यहां रंग बिरंगी फूल खिलते हैं और चारों तरफ मनमोहक हरियाली रहती है। तब यहां देश के कोने – कोने से लोग घुमने आते हैं।
ढोरपाटन शिकार संरक्षित क्षेत्र:
वन्य जंतुओं के सदुपयोग के साथ इनके संरक्षण के लिए इस क्षेत्र को शिकार संरक्षित क्षेत्र बनाया गया है। इस शिकार संरक्षित क्षेत्र को 7 भागों में विभाजन किया गया है, जिनमे घुसतुंग, सूर्तिबांग, सेंग. फागुने, बार्से. दोगाड़ी और सुनदह।
शिकार कैसे किया जाता है ?
राष्ट्रीय निकुंज तथा वन्यजंतु संरक्षण विभाग (Department of National Parks and Wildlife Conservation) समय समय पर शिकार किए जाने वाले मुख्य जंगली जानवर हिमालयी तहर (Himalayan tahr) और भरल (Bharal) निरीक्षण कर उनकी गणना करता है।
फिर वार्षिक कोटा निर्धारित करके प्रतिस्पर्धा के आधार पर शिकार करने की अनुमति देता है। इस प्रकार दुर्लभ वन्य जंतु विलुप्त होने की स्थित उत्पन्न नहीं होती है। प्रजनन से इनकी संख्या बढ़कर स्वयं के निवास स्थान तथा स्थानीय लोगों के फसलों को नुकसान भी नहीं पहुंचाते हैं।
ढोरपाटन संरक्षित क्षेत्र का मुख्य कार्यालय बागलुंग जिले के ढोरपाटन नगरपालिका वार्ड नंबर 9 में स्थित है। यहां से लिखित अनुमति लेकर आप कार्यालय के द्वारा निर्धारित समय और स्थान पर सूची में रखे गए वन्य जंतुओं का शिकार कर सकते हैं। इसलिए यह क्षेत्र विश्व के शौकीन शिकारियों के लिए प्रमुख स्थान है।
निषेधित वन्य जंतु
हिम तेंदुआ (Snow leopard), हिमालयाई घोरल (Himalayan goral), एशियाई काला भालू (Asian black bear) और हिरण (Deer) आदि जीव जंतु विलुप्त के कगार पर हैं इसलिए इनका शिकार करना निषेध है
यहां पाए जाने वाले संरक्षित जंतु
1. पक्षियां
- काला सारस (Ciconia nigra)
- खरमोर (Sypheotides indicus)
- ग्रस एंटिगोन (Grus antigone)
- चरस (Houbaropsis bengalensis)
- चियर तीतर (Catreus wallichii)
- धनेश (Buceros bicornis)
- मुनाल (Tragopan satyra)
- सफ़ेद सारस (Ciconia ciconia)
- हिमालयी मोनाल (Lophophorus impejanus)
2. स्तनधारी जीव
- असम मकाक (Assam macaque)
- कस्तुरी मृग (Musk deers),काला हिरण (Blackbuck)
- गौर (Gaur)
- गैंडा (Rhinoceros)
- गंगा सूँस (South Asian river dolphin)
- चीता बिल्ली (Leopard cat)
- चौसिंगा (Four-horned antelope)
- जंगली याक (Bos mutus)
- जंगली भैंस (Wild water buffalo)
- तिब्बती मृग (Tibetan antelope)
- धूमिल तेंदुआ (Clouded leopard)
- बाघ (Tiger)
- बाह्रसिंगा या दल दल मृग (Rucervus duvaucelii)
- बौना सुअर (Pygmy hog)
- भारतीय वृक (Canis lupus)
- रेड पांडा (Red panda)
- लकड़बग्घा (Hyenas)
- लिंगसांग (Spotted Linsang)
- वज्रशल्क या पैंगोलिन (Pangolins)
- वनविलाव (Lynxes)
- हिमालयी भेड़ (Ovis ammon)
- हिम तेंदुआ (Snow leopard)
- हिमांलयी भूरा भालू (Himalayan brown bear)
- हिस्पिड खरगोश (Hispid Hare).
3. सरीसृप प्रजाति के जीव
- अजगर (Asiatic Rock Python)
- घड़ियाल (Gharial)
- यलो मॉनिटर (Yellow monitor)
स्थानीय लोगों का जनजीवन
ढोरपाटन के स्थानीय लोग घुमंतु जीवनयापन करते हैं। इनका मुख्य पेशा खेती और पशुपालन है। शरद ऋतु में खेती करने के लिए ये लोग निचले स्थान बोबांग तथा अधिकारी चौर में जाते हैं फिर बरसात के समय में अपने मवेशियों के साथ ढोरपाटन आते हैं। इस तरह ये लोग 6 महीने निचले स्थानों तथा 6 महीने ढोरपाटन में रहते हैं।
एक दशक पूर्व तक यहां सड़कें नहीं थीं। जिससे स्थानीय लोगों को कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता था।
यहां उत्पादित फसल आलू, सेब, तथा उनके दैनिक उपभोग की वस्तुएं, राशन, बिस्तर एक से दूसरे जगह लाने ले जाने में आफत होती थी। उस समय अपना सामान घोड़े और खच्चरों में लड़कर लाया लेजाया करते थे। अब यहां सड़क बनने के कारण स्थानीय लोगों के जीवन में परिवर्तन हुआ है।
ढोपाटनक की प्रमुख फसलें
ढोपाटनक क्षेत्र का प्रमुख फसल हिमालयी आलू है। यहां का आलू पूरे देश में प्रसिद्ध है। यहां सेब भी लगाया जाता है लेकिन मुस्तांग जिले की तुलना में यहां के सब की क्वालिटी उतनी अच्छी नहीं होती है।
ढोरपाटन कैसे पहुंचें ?
देश के प्रमुख शहरों तथा काठमांडू, पोखरा सहित विभिन्न स्थानों से आसानी से ढोरपाटन पहुंचा जा सकता है।
पोखरा से पक्की मध्य पहाड़ी राजमार्ग से यात्रा करते हुए बागलुंग जिले को पार कर बस, गाड़ी, जीप या मोटरसाइकिल में 5 घंटा यात्रा करने के पश्चात ढोरपाटन का प्रवेश द्वार बूर्तीबांग पहुंचा जा सकता है।
उसके बाद बूर्तीबांग से मध्य पहाड़ी लोकमार्ग को छोड़कर सालझण्डी सड़क से बोबांग तथा अधिकारी चौर होते हुए ढोरपाटन तक 36 किलोमीटर कच्ची सड़क है। इस दूरी को आप जीप या बाइक में 2.5 घंटे में तय कर लेंगे।
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नेपाल देश के विभिन्न इलाकों से अगर आप ढोरपाटन आना चाहते हैं, तो सबसे पहले आप बागलुंग पहुंचें। फिर यहां से बूर्तीबांग जाएं क्योंकि नेपाल के कोने कोने से बागलुंग के लिए गाडियां जाती हैं। चाहे आप सोनौली से आएं, नेपालगंज से आएं या महेंद्रनगर से आएं यह वाला रास्ता आसान है।
इसके अलावा रुकूम के रास्ते भी आ सकते हैं लेकिन तकसेरा गांव से ट्रेकिंग करनी पड़ती है। नए लोगों को रास्ते की जानकारी नहीं होती है। इसलिए मैने इस मार्ग के बारे में नहीं बताया। फिर भी इस मार्ग की जानकारी चाहते हैं तो नीचे कमेंट में बताएं।
ढोरपाटन घूमने का सही समय क्या है?
यहां आने का सही समय जून से सितंबर तक है। इस समय यहां हरियाली रहती है रंग बिरंगे फूल खिले होते हैं। चरवाहे अपने मवेशियों के साथ यही होते हैं।
बर्फ के शौकीन रिस्क लेकर नवंबर दिसंबर में आ सकते हैं। उस समय भारी बर्फबारी से यह क्षेत्र दिखने में स्वीटजरलैंड से कम नहीं लगता। उस समय यहां के निवासी अपने निचले स्थानों में चले जाते हैं, इसलिए यहां रहने खाने की दिक्कत हो सकती है साथ में ठंड भी कड़ाके की पड़ती है।
ढोरपाटन में कहां ठहरें?
ढोरपाटन के विभिन्न गांवों में अब होटल तथा होम स्टे हैं। इन होटलों में स्थानीय ऑर्गेनिक खाना मिलता है। गजब के अतिथि सत्कार के साथ सुविधा संपन्न कमरों में आराम कर सकते हैं। सीजन के समय में जिस होटल या होम स्टे में ठहरना हो अपने आने की सूचना पहले ही देकर जाना उचित होता है।
महत्वपूर्ण सुझाव
- निचले इलाकों की तुलना में अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में ऑक्सीजन कम होता है।
- ढोरपाटन 2,850 मीटर से 5,500 की ऊंचाई में स्थित है।
- 2700 मीटर से अधिक ऊंचाई में जाने पर अधिकतर लोगों को हाई एल्टीट्यूड की दिक्कत होती है।
- हल्का सिर दर्द, सांस लेने में दिक्कत,चक्कर आना,डायरिया होना ये सब हाई एल्टीट्यूडके लक्षण हैं।
- इस तरह के लक्षण होने पर ऊंचाई वाले क्षेत्र से निचले क्षेत्र की ओर जाएं।
- स्वस्थ मनुष्य को इस प्रकार की समस्या कम ही होता है।
- ऊंचाई वाले क्षेत्रों में यात्रा के दौरान पर्याप्त गर्म कपड़े लेकर जाएं,अधिक मात्रा में पानी पिएं।
- अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में अधिक दूरी जल्दी तय न करें।
- काला चस्मा,पानी पीने वाली बोतल और खाने के लिए सूखे मेवे या खाद्य पदार्थ लेकर जाएं।
- शुगर, प्रेशर सहित जटिल रोगों से ग्रसीतेवम 60 से 70 वर्ष के वृद्ध लोग डॉक्टर की सलाह से ही ढोरपाटन आएं।
निष्कर्ष:
ढोरपाटन एक सुंदर प्राकृतिक, धार्मिक और नेपाल का एकमात्र शिकार क्षेत्र है। यहां हर मौसम में यात्रा करने पर प्रकृति का अलग स्वाद चखने को मिलता है। अगर आप प्रकृति प्रेमी, हिमालय प्रेमी तथा शिकार प्रेमी हैं, सस्ते में विदेश के प्राकृतिक स्थान में घूमने की तलाश कर रहें हैं, तो आइए ढोरपाटन में आपका स्वागत है।
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