चारों तरफ हरे भरे घास के मैदान उन में चर रहे भेड़ों, घोड़ों और याकों का झुंड, अपने जीवन गाथा एवं उस स्थान के भूगोल को समेटे हुए चरवाहों का स्थानीय सुमधुर संगीत। बर्फ पिघलकर बनी जगदुल्ला नदी तथा उस नदी के ऊपर बने काष्ठ के कलात्मक पुल, रितिरिवाज तिब्बत से मिलती जुलती। हरे भरे बुग्यालों में चरवाहों की बस्ती, ठंडक से राहत देती बस्तियों के अंदर जलती आग आहा! यहां आने वाला कोई भी मनुष्य स्वर्गीय आनंद की अनुभूति करता है। आज हमारी यात्रा डोल्पा जिले के “जगदुल्ला ताल” की है।
जगदुल्ला ताल कहां है?
जगदुल्ला ताल डोल्पा जिले के Jagdulla Rural Municipality में समुंद्र तल से 4,700 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।
जगदुल्ला ताल एक पवित्र धार्मिक तीर्थ स्थल है। इसे “जगदुल्ला सांचोलिंग” भी कहते हैं। इसके सामने एक पर्वत है जिसे “गांचेन मेरी रालवा” के नाम से जाना जाता है। इस पर्वत के शिखर को “तेनाम थांग” तथा इस पर्वत से झील की ओर आने वाली नदी को ” निहुंझोम बालगिछु” कहते हैं।
यहां चार मंडला थांग (मंडला चौर) हैं। यहां ऐसे 4 हिमालय भी हैं, जो सृष्टि रचना से अभी तक नहीं पिघले। चार बड़ी झीलें भी हैं। बौद्ध लामाओं की भक्ति और प्रार्थना शक्ति से इन झीलों के पानी में कोई भी रोग ठीक करने की सामर्थ्य है।
जगदुल्ला झील का धार्मिक महत्व क्या है?
प्राचीन तिब्बती ग्रंथ में लिखा है कि यह स्थान नौ लाख नौ हजार देवी देवताओं तथा अप्सराओं से वरदान प्राप्त है इसलिए यह सबसे बड़ा तीर्थ स्थल माना जाता है। चार तीर्थ इसी क्षेत्र में हैं।
यहां श्रावण पूर्णिमा के दिन जगदुल्ला से तथा इसके आसपास के क्षेत्रों से लोग नंगे पांव 4 दिन की पदयात्रा कर तीर्थ यात्रा के लिए आते हैं। यहां पहुंचकर लोग झील में स्नान कर नाग देवता की पूजा तथा प्रार्थना करते हैं। इस झील के दर्शन और पूजा से मनोवांछित फल की प्राप्ति तथा जीवन भर किए पाप धुलने का जनविश्वास है।
जन विश्वास के अनुसार यहां स्नान,ध्यान और पूजा पाठ करने से कैलाश मानसरोवर के बराबर ही पुण्य मिलता है। इसलिए यहां के लोग कैलाश मानसरोवर और जगदुल्ला झील की महत्ता एक ही मानते हैं। इस झील से होते हुए ऊपर जाने वाले रास्ते को स्वर्ग का मार्ग के रूप में विश्वास किया जाता है।
झील का प्राकृतिक महत्व
गांचेना मेरी रालवा हिमालय की गोद में बसे इस पवित्र जगदुल्ला झील से जगदुल्ला नदी की उत्पत्ति होती है। यह नदी मार्ग में पड़ने वाले डोल्पा के अनेकों भूभागों को सींचते हुए ठुली भेरि नदी में मिल जाती हैं।
जगदुल्ला क्षेत्र का नाम इस “झील” के आधार पर रखा गया है। अनेकों जगदुल्ला निवासी इस झील पर आश्रित हैं। इसके आस – पास अनेकों गुफाएं हैं। जहां बौद्ध धर्म के विद्वान लामा गुरुओं ने तपस्या की थी।
जहां से झील का पानी बहकर नदी का रूप लेती है। उस स्थान पर अनेकों रंग बिरंगे ध्वजाएं फहराई गई हैं, देखने में मनमोहक लगते हैं।
प्रेम ताल (राक्षस दह)
जगदुल्ला ताल के मार्ग में प्रेम ताल पड़ता है।Jagdulla Rural Municipality मांझ गांव से 40 किलोमीटर तथा तुंग तुंग पाटन से 6 घंटे पदयात्रा के पश्चात 6,000 मीटर से भी अधिक ऊंचाई वाले आधा दर्जन हिमालयोँ मध्य हृदयाकार का एक झील है जिसे प्रेम ताल कहते हैं। इस झील को स्थानीय लोग राक्षस ताल भी कहते हैं। इस झील को हाल तीर्थ स्थल के रूप में जाना जाता है।
पौराणिक काल में इसे दूध पोखरी कहते थे। लोगों की पौराणिक मान्यता है कि इसका जलपान करने से मनुष्य की शक्ति तथा यौवन बढ़ती है। निसंतान को संतान की प्राप्ति होती है।
टांग टूंगे ओडार (Tang Tunge Den)
अपने पालतू जानवरों को चराने स्थानीय चरवाहे तथा यारसा गुम्बा एकत्र करने के लिए ऊपरी क्षेत्र में जाने वाले लोग बरसात के समय इसी ओडार में रात्रि विश्राम करते हैं। इस ओडार के समीप से कल कल बहती जगदुल्ला नदी का सुमधुर संगीत सुनाई देता है।
इस ओडार से प्रातःकाल सफेद बर्फकी चादर ओढ़े सुंदर हिमालय, चारों तरफ के जंगलों में देवदार के पेड़ो पर जमी बर्फ सूर्य की किरणों के ताप से धीरे धीरे जमीन में गिरती हुए साई साई वाली ध्वनि कहीं पर दूसरे प्रजाति के पत्ते विहीन पेड़ किसी चित्रकार द्वारा कैनवास में बनाई गई चित्रकला के समान दिखाई देते हैं।
तुंग तुंग पाटन
टांग टूंगे ओडार से करीब 5 घंटे की ट्रेकिंग के बाद समतल मैदान आता है। इसे तुंग तुंग पाटन कहते हैं। यह तुंग तुंग पाटन (बुग्याल) समुद्र तल से 4,000 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।
वर्षा ऋतु में इस स्थान पर अपने पशुओं को चराने के लिए जगदुल्ला क्षेत्र के चरवाहे आते हैं। उस समय यहां चारों तरफ मानव बस्ती दिखाई देती है। यह स्थान बहुमूल्य जड़ी बूटी यारसा गुम्बा (Caterpillar fungus) संकलन के लिए भी प्रसिद्ध है। यारसा संकलन के लिए लोग April में यहां आते हैं।
डोल्पा में अन्य महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल
नेपाल के सबसे बड़े हिमालयों में से गांगचेंन मेरी रालवा हिमालय, कंजीरोवा हिमालय, टांग टूंगे हिमालय, डॉफे हिमालय, और आम डोल्मा हिमालय डोल्फा जिले में पड़ते हैं।
डोल्पा जिले में शे-फोकसुंडो झील, कुख्यान फालक झील, त्रिपुरासुन्दरी मन्दिर, शे–गुम्बा, धो तराप और पंगबोर झील सहित अनेकों प्रसिद्ध धार्मिक तथा प्राकृतिक पर्यटन स्थल हैं।
जगदुल्ला ताल की यात्रा कब करें?
1. शरद ऋतु
शरद ऋतु में जगदुल्ला क्षेत्र बर्फ से ढक जाता है। और जगदुल्ला झील के मार्ग में घास के मैदानों तथा पहाड़ियों में अत्यधिक बर्फ गिर जाती है। तब यहां कड़ाके की ठंड पड़ती है।
शरद ऋतु मे जगदुल्ला झील जम जाती है। जिससे जमीनी सतह और झील का पता लगाना मुश्किल होता है। जब झील जम जाती है इसके ऊपर उछल कूद साइकिलिंग इत्यादि कर सकते हैं। अगर आप बर्फ का मजा लेना चाहते हैं तो यह समय अच्छा है।
October में झ्याकोट सहित इसके आसपास के थापा गांव, काई गांव तथा गैरी गांव में लोग अपने घरों को सजाते हैं। रास्तों की सफाई करते हैं। इस समय यहां के स्थानीय लोगों के घर आगन, रास्तों के किनारे गेंदे के फूल तथा ग्लोव आमरंथ मनमोहन रूप से खिले होते हैं। प्रातः सूर्योदय से सूर्यास्त तक नेत्रों के सामने हिमालय का विहंगम दृश्य बड़ा ही अलौकिक लगता है।
2. वर्षा ऋतु
जुलाई-अगस्त में यहां यात्रा करना अति रोमांचकारी होता है। चारों तरफ हरियाली विभिन्न रंगों के फूल घास के मैदानों में खिले हुए होते हैं। उन घास के मैदानों में चर रहे पशुओं का झुंड। आहा स्थानीय लोग भी इस समय ऊपर के क्षेत्रों में रहते हैं जिससे खाने रहने की कोई समस्या नहीं रहती है। यह समय बेस्ट है जगदुल्ला ताल की यात्रा यात्रा करने के लिए।
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जगदुल्ला ताल की यात्रा कैसे करें?
वैसे तो जगदुल्ला झील में जाने के लिए अनेकों रास्ते हैं। इन रास्तों से सभी लोग यात्रा नही कर सकते हैं। केवल उन रास्तों के जानकार ही यात्रा कर सकते हैं। मैं आज आपको एकदम सरल रास्ते के बारे में बता रहा हूं।
पहला दिन
काठमांडू या नेपाल के किसी भी क्षेत्र से नेपालगंज पहुंचें। नेपालगंज आप बस से या फ्लाइट से पहुंच सकते हैं। यहां पहुंचने के लिए देश के हर क्षेत्र से हवाई सेवा तथा बस सेवा उपलब्ध है।
दूसरा दिन
अब आप नेपालगंज से जुम्ला के लिए प्रातःकालीन फ्लाइट लें। जुम्ला समुंद्र तल से 2,514 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यहां आप रात्रि विश्राम करें।
तीसरा दिन
जीप या बाइक से जगदुल्ला जाएं जगदुल्ला समुंद्र तल से 2838 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।
चौथा दिन
ट्रेकिंग यात्रा हुरिकोट से शुरू होती है। हुटिकोट खत्म होते ही चढ़ाई शुरू हो जाती है।
यहां जंगली अखरोट के बड़े-बड़े पेड़ों वाले जंगल के रास्ते से होते हुए लकड़ी के कलात्मक पुल के ऊपर से गुजरते हुए जगदूल्ला नदी को थोड़ी-थोड़ी देर में क्रॉस करना पड़ता है। जगदुल्ला नदी के शीतल प्रवाह और चारों तरफ की हरियाली को निहारते निहारते चढ़ाई की थकान क्षणभर में ही दूर हो जाती है। फिर पहुंच जायेंगे 3800 मीटर की ऊंचाई वाले तुंग तुंग पाटन।
पांचवा दिन
तुंग तुंग पाटन से प्रातः ही 4,700 मीटर की ऊंचाई वाले जगदुल्ला ताल की तरफ ट्रेकिंग।
छठा दिन
आज के दिन जगदुल्ला ताल भ्रमण वीडियो ग्राफी फोटो ग्राफी स्नान जो दिल आए जैसा मजा आए वैसा ही करने की आजादी और इसके आसपास के गुफा भ्रमण।
सातवां दिन
जगदुल्ला ताल से हुरीकोट वापसी।
आठवां दिन
हुरिकोट से जुमला वापसी और फिर अपने घर वापसी।
कहां ठहरें?
जुमला बाजार तथा जगदुल्ला के काईगांव हुरिकोट में खाने रहने की उचित व्यवस्था है। यहां आरामदायक होटल हैं। आप इनमे अपनी सुविधानुसार ठहर सकते हैं।
जगदुल्ला नदी के किनारे बसा काईगांव इस क्षेत्र का प्रमुख बाजार है। यहां के लोग अपने दैनिक उपभोग की वस्तुएं यहीं से खरीदते हैं।
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तुंग तुंग पाटन में रात्रि विश्राम के लिए आपको स्वयं का कैंपिंग टेंट लगाना पड़ेगा वरना यहां रह रहे चरवाहों के घरों में मेहमान बन सकते हैं। खाना अपने साथ लेकर जाना पड़ता है क्योंकि यहां कोई दुकान होटल नहीं हैं।
जगदुल्ला ताल में भी आपका स्वयंका कैंपिंग टेंट लगाना पड़ता है और खाना भी अपने साथ लेकर जाना पड़ता है।
महत्वपूर्ण बिंदु
- जगदुल्ला झील हिमालय की गोद में बसा है। यहां अत्यधिक ठंड होती है। यहां घूमने जाने से पूर्व अपने पास गर्म गर्म कपड़े जैकेट इत्यादि लेकर जाएं।
- जगदुल्ला ताल क्षेत्र में विद्युत सुविधा नहीं है इसलिए अपने मोबाइल चार्जिंग के लिए पर्याप्त बैकअप लेकर जाएं।
- यहां ऊपर के क्षेत्र में कही भी होटल और दुकान नही हैं इसलिए अपने साथ 2 से 3 दिन का खाना लेकर जाएं।
- अगर आपको किसी भी प्रकार की स्वांस संबधी कोई दिक्कत है तो यह यात्रा न करें क्योंकि अधिक ऊंचाई पर आक्सीजन की मात्रा कम होती है। इससे आपको दिक्कत हो सकती है।
- अपने साथ आवश्यक दवाइयां लेकर जाएं क्योंकि हुरिकोट से आगे कोई भी मेडिकल अथवा अस्पताल नही है।
पर्यटक यहां क्यों नहीं आ पाते हैं?
कर्णाली प्रदेश के रारा झील और शे-फोकसुंडो झील में तो बहुत से पर्यटक पहुंचते हैं लेकिन जगदुल्ला झील में आस पास के क्षेत्रों के अलावा आंतरिक और बाह्य पर्यटक क्यों नही आते हैं?
इसका कारण नेपाल सरकार ने इन पर्यटन स्थलों को नजरंदाज किया हुआ है।
इन महत्वपूर्ण पर्यटन स्थलों का प्रचार न होना तथा पर्यटकों के लिए सामान्य सेवा सुविधा जैसे खाने रहने, संचार, विद्युत और उचित मार्ग के अभाव में अधिकांश पर्यटन स्थल सबकी नजरों से अभी तक ओझल में हैं। इसलिए पर्यटक यहां नहीं आ पाते हैं
निष्कर्ष
विभिन्न समय में जगदुल्ला झील की यात्रा करने पर यहाँ प्रक्रति में विविधता पाया जाता है।
यह झील धार्मिक, आध्यात्मिक और जैविक विविधता से भरपूर है। ट्रेकिंग के शौकीनों तथा हिमालय प्रेमियों के लिए यह एक अच्छा स्थान हैं वर्षा ऋतु में यहां यात्रा करना बढ़ा ही रोमांचकारी होता है
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