चितवन राष्ट्रीय उद्यान कहाँ स्थित है? हमें चितवन राष्ट्रीय उद्यान क्यों जाना चाहिए? चितवन राष्ट्रीय उद्यान में कितने बाघ हैं? चितवन राष्ट्रीय उद्यान की क्या विशेषताएं हैं? चितवन राष्ट्रिय उद्यान कैसे पहुंचे ?
नेपाल का तीसरा पर्यटन स्थल चितवन नेशन पार्क का पुराना नाम शाही राष्ट्रिय निकुंज था। जैविक विविधता से संपन्न यह राष्ट्रिय उद्यान नेपाल के मध्य तराई क्षेत्र में स्थित है।
चितवन राष्ट्रिय उद्यान नेपाल के प्रदेश नंबर 2, 3, और 3 के जिले चितवन, मकवानपुर, पर्सा और नवलपरासी के कुछ भू-भागों में फैला नेपाल का पहला राष्ट्रिय उद्यान है। इसकी ऊंचाई निचले नदी घाटी में 100 मीटर (330 फिट) से उत्तरी पहाड़ तक 815 मीटर (2,674 फिट) है। चितवन नेशनल पार्क में एक महानगरपालिका, 8 नगरपालिकाए और 3 ग्रामीण नगरपालिका हैं।
चितवन राष्ट्रिय निकुंज ने उत्तर के पहाड़, रिऊ नदी, राप्ती नदी और नारायणी नदी के कुछ भू- भाग को अपने में समेटा हुआ है। 70% साल के जंगल से ढका चितवन राष्ट्रिय उद्यान नेपाल का पहल एवं पर्यटन स्थल भी है। इस राष्ट्रिय उद्यान का क्षेत्रफल 952.63 वर्गकिलोमीटर है।
इस पार्क में सन 2000 में 544 से भी ज्यादा एक सींग वाले गैंडे पाए जाते थे लेकिन देश में बढे द्वन्द के चलते सुरक्षा निति में कमजोरी और चोरी शिकारी के कारण सन 2005 गैंडों की संख्या घटकर 372 हुई।
संरक्षण के अथक प्रयास से सन 2011 में गैंडों की संख्या बढ़कर 503 हुई और गैंडों में वृद्धि होकर 2015 में 605 गैंडे हो गए । अब चितवन राष्ट्रिय निकुंज में 694 गैंडे हैं । सन 2018 के बाघ गणना अनुसार पार्क में वयस्क 93 रॉयल बंगाल टाइगर हैं।
इस राष्ट्रिय निकुंज में रॉयल बंगाल टाइगर(Royal Bengal Tiger), सोंस (South asian river dolphin) नीलगाय (Nilgai), जंगली भैंस (Wild water buffalo), स्लॉथ बेयर (Sloth bear) गैंडे, तेन्दुआ (Leopard), काकड़ (Muntjac), चीतल (Chital), लगुन
(Hyelaphus porcinus), चौसिंगा (Four-horned antelope), लंगूर (langur) और बन्दर (monkey) सहित 60 से भी अधिक स्तनधारी प्रजातियाँ पाई जाती हैं।
घड़ियाल (Gharial), मगरमच्छ (Crocodiles), मार्श मगरमच्छ (Marsh crocodile) और अजगर(Python family) आदि यहाँ निवास करते हैं।
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इसी प्रकार सरीसृप (Reptiles) वर्ग के जंतु एवं उभयचर (Amphibian) प्रवासी तथा मूल निवासी सहित 546 पक्षी प्रजातियाँ और विभिन्न किसिम के कीट पतंगों का निवास स्थान चितवन राष्ट्रिय निकुंज है।
इन विलुप्त होने के कगार पर जीवजन्तु के प्राकृतिक महत्व को ध्यान में रखकर इनके संरक्षण के लिए सन 1994 में चितवन नेशनल पार्क को विश्व धरोहर सूचि (World heritage site) में रखा गया है।
चितवन नेशनल पार्क ने बाल्मीकि आश्रम और विक्रम बाबा जैसे महत्वपूर्ण स्थानीय धार्मिक परंपरा को भी संजोकर रखा है। स्थानीय लोगों के जीविकोपार्जन के लिए वर्ष में एक हफ्ते के लिए चितवन नेशनल पार्क का जंगल में प्रतिबन्ध हटा दिया जाता है । तब लोग लकड़ी, घास आदि संकलन करते हैं।
यहाँ वर्षभर हजारों की संख्या में स्वदेशी और विदेशी पर्यटक भ्रमण करने के लिए आते हैं ।
चितवन नेशनल पार्क का इतिहास
19 वीं शताब्दी तक चितवन नेशनल पार्क जंगल का ह्रदय के रूप था । यह स्थान उस समय के नेपाल में शासन करने वाले राजाओं का शरद ऋतू में शिकार करने के लिए पसंदीदा शिकार क्षेत्र था। सन 1950 तक नेपाल के दक्षिण भाग से काठमांडू तक यात्रा करना अत्यधिक कठिन था, जिसके कारण जंगल के रास्ते से यात्रा करने वाले राहगीर यहाँ महीनों तक डेरा डालकर बाघ, भालू , चीते और गैंडे आदि का शिकार किया करते थे।
चितवन में घास के मैदान तथा वन विस्तार सन 1950 में 2,600 वर्ग किलोमीटर में हुआ, तब यह क्षेत्र 800 गैंडों का निवास स्थान बना। जब मध्य पहाड़ी क्षेत्र से गरीब किसान कृषि योग्य भूमि की तलाश में चितवन घाटी में आये, तब वे लोग यहाँ वन जगल को काटकर अपनी बस्ती बनाकर रहने लगे इस समय यहाँ के वन्य जंतुओं का शिकार और तस्करी व्यापक रूप से होने लगा ।
सन 1957 में नेपाल के पहले संरक्षण व्यवस्था कानून ने गैंडे और इनके निवास स्थान के संरक्षण के लिए पहल की थी । सन 1959 में एडवर्ड प्रिचार्ड जी ने यहाँ एक सर्वेक्षण किया था, जिसमे उन्होंने इस क्षेत्र के उत्तर में राप्ती नदी और दक्षिण में वन्यजीव संरक्षण हेतु 10 वर्ष तक परिक्षण काल के लिए सिफारिश किया।
सन 1960 के अंत तक यहाँ का 70% वन नष्ट कर हजारों की संख्या में लोग बस्ती बनाकर रहने लगे जिसके कारण यहाँ रह रहे गैंडों की संख्या में भारी गिरावट आयी, 800 गैडों में से 95 गैंडे ही बचे थे।
चितवन के दुसरे सर्वेक्षण 1963 के बाद उन्होंने जीवजंतुओं के संरक्षण समाज और प्रकृति संरक्षण के लिए नेपाल सरकार और अंतराष्ट्रीय संघ दोनों को दक्षिणी क्षेत्र को विस्तार करने के लिए सिफारिश किया ।
गैंडा के संख्या में हुए ह्रास और चोरी तश्करी को रोकने के लिए नेपाल सरकार ने एक गैंडा गश्ती टीम बनाया । इस टीम में 130 सशस्त्र जवान और एक सुरक्षा केंद्र सञ्चालन में था। यह टीम को चितवन के सभी जगहों में गस्ती करती थी।
गैंडों के शिकार में रोकथाम के लिए नेपाल का पहला राष्ट्रिय उद्यान चितवन नेशनल पार्क की स्थापना 20 सितम्बर 1973 को हुआ। स्थापना के समय में चितवन नेशनल पार्क का क्षेत्रफल 544 वर्गकिलोमीटर था, धीरे- धीरे क्षेत्रफल का विस्तार होकर सन 1977 में 932 वर्ग किलोमीटर हुआ।
नवम्बर 1997 में स्थानीय जनता के वन पैदावार को सरल रूप में पूर्ति करने के लिए एवं चितवन नेशनल पार्क से प्रभावित स्थानीय लोगों का आर्थिक तथा सामाजिक विकास करने के उद्द्येश्य से इस राष्ट्रिय निकुंज के नारायणी तथा राप्ती नदी प्रणाली के उत्तर और पश्चिम, राष्ट्रिय निकुंज के दक्षिण – पूरब सीमा तथा अंतराष्ट्रीय सीमा भारत के बीच 750 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को जोड़कर मध्यवर्ती क्षेत्र घोषित किया गया।
मध्यवर्ती क्षेत्र में पड़ने वाला बीसहजारी झील को सन 2003 में अंतराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त आद्रभुमी (Wetland) क्षेत्र की सूचि में रखा गया है।
अक्टूबर 2016 में इसकी सीमाओं में परिवर्तन किया गया, जिसके कारण चितवन राष्ट्रिय निकुंज का क्षेत्रफल बढ़कर 952.63 वर्ग किलोमीटर एवं मध्यवर्ती क्षेत्र का क्षेत्रफल में वृद्धि होकर 729.37 वर्ग किलोमीटर हो गया है।
चितवन नेशनल पार्क कहां स्थित है?
चितवन नेशनल पार्क नेपाल के चार जिलों क्रमश – चितवन, पर्सा, मकवानपुर और नवलपरासी में फैला हुआ है। पार्क के कुल क्षेत्रफल का 74.04% भू-भाग चितवन जिला, 15.45% भू-भाग पर्सा जिला, 6.97% भू-भाग मकवानपुर और 3.54% भू-भाग नवलपरासी जिले में पड़ता है।
नेपाल के संविधान 2072 के अनुसार चितवन नेशनल पार्क नेपाल के प्रदेश नंबर 2 (मधेश प्रदेश), प्रदेश नंबर 3 (बागमती प्रदेश ) और प्रदेश नंबर 4 (गण्डकी प्रदेश में फैला हुआ है।
चितवन नेशनल पार्क में क्या एक्टिविटी करें?
जंगल सफारी
जीप में बैठकर चितवन नेशनल पार्क के अंदर जंगल में घूमने का आनंद ही कुछ और है। जीप में 7 लोग बैठे होते हैं। जीप सफारी 3-4 घंटे का होता है। साथ में एक अनुभवी गाइड बैठा होता है, जो इस क्षेत्र और जानवरों के बारे में जानकारी देता रहता है। जीप चितवन के घने जंगल के अन्दर जाती है। जंगल सफारी के दौरान एक सींग वाले दुर्लभ गैंडे, बंगाल टाइगर, हिरन, मगरमच्छ, घड़ियाल और काठे भालू जैसे दुर्लभ जानवर दिखाई देते हैं। जानवरों को ढूंढने में गाईड मद्दद करता है।
कैनोइंग
कैनोइंग चितवन नेशनल पार्क में होने वाली रोमांचकारी गतिविधियों में से एक है। लकडी की नाव में बैठकर राप्ती और नारायणी नदी के जलीय जीवो को करीब से देखा जा सकता है। राप्ती नदी में कैनोइंग करते हुए मगरमच्छ, घड़ियाल और मार्श मगरमच्छ नदी के किनारे धूप सेंकते हुए दिखाई देते हैं। नदी को पार कर जंगल सफारी अथवा जंगल वाक के लिए केनोइंग ही करना पड़ता है।
जंगल वाक
चितवन नेशनल पार्क के जंगली जानवरों को करीब से देखने का तरीका एक अनुभवी गाइड के साथ जंगल की सैर करना है। जंगल वाक के दौरान आपको क्या – क्या जानवर दिखाई देंगे यह तो आपके भाग्य पर निर्भर करता है।
ज्यादातर लोगों को बंदर, पक्षियाँ, गैंडे, लंगूर तथा अन्य जानवरों को देखने का शानदार मौका मिलता है। जंगल वाक करते हुए सुखद अनुभव होता है लेकिन जंगल की सैर के दौरान गैंडे जैसे जंगली जानवर कभी कभार आदमी का पीछा करते हैं ।
इसलिए जंगलो में सैर करने के दौरान कुछ नियमों का पालन करना होता है। गाइड जंगल वाक से पूर्व ही ये नियम बताता है। हमें गाइड के बताये बातो को ध्यान में रखते हुए ही जंगल वाक करना है।
हाथी प्रजनन केंद्र
चितवन नेशनल पार्क में स्थित सरकारी स्वामित्व वाला हाथी प्रजनन केंद्र का उद्देश्य युवा हाथियों को पालना और हाथियों की जनसंख्या वृद्धि करना है। यहां बहुत से छोटे हाथी के बच्चे उनके माता-पिता के साथ रहते हैं। इस केंद्र में जाकर बड़े शरीर वाला हाथी दिन भर में क्या-क्या खाता है ? कैसे रहता है? हाथी के स्वभाव को जानने के लिए इस स्थान पर अवश्य जाएं।
बर्ड वाचिंग
चितवन नेशनल पार्क पक्षी प्रेमियों के लिए किसी स्वर्ग से कम नहीं है यह पार्क 500 से भी अधिक पक्षी प्रजातियों का घर है। यहां पाए जाने वाले विशेषकर पक्षी प्रजातियां कालीज, तीतर, बटेर,मोर, ग्रीन विंग्ड टील, रेड जंगल फावल और कामन पोचर्ड आदि हैं।
थारु सांस्कृतिक कार्यक्रम
वन्य जंतुओं के आलावा चितवन थारू लोगों के लिए प्रसिद्ध है। थारु एक जातीय समुदाय है ये लोग नेपाल के तराई क्षेत्र में निवास करते हैं। इनके घर की दीवार मिटटी से बनी होती है, खुद को जंगल के लोग बताने वाले थारू अभी भी अपना जीवन पारंपरिक तरीके से बिताते हैं। ये लोग मक्का, चावल, गेहूं और दालें उगाते हैं। थारू लोग मछली, खरगोश और हिरण आदि जानवरों का शिकार करते हैं।
इनका गीत संगीत नृत्य अनूठा होता है। जो भी थारु सांस्कृतिक कार्यक्रम देखता है मंत्रमुग्ध हो जाता है। थारु अपने पारंपरिक परिधान में नृत्य करते हैं उनका प्रमुख नृत्य डंडा नाच और आगो नाच (अग्नी नृत्य) है। थारू संस्कृति का आनंद लेने के लिए थारू गाँव अवश्य जाना चाहिए। थारू गाँव पैदल या साईकिल से आसानी से पहुंचा जा सकता है।
मौसम तथा जलवायु
चितवन नेशनल पार्क में विभिन्न प्रकार की मौसम तथा जलवायु है, जो यहां घूमने वाले पर्यटकों को अनूठा अनुभव प्रदान करती है। चितवन नेशनल पार्क का भौगोलिक स्थिति से अधिकांश भूभाग तराई क्षेत्र में होने के कारण अक्टूबर से फरवरी तक 25०C तक सुखद तापमान रहता है।
मार्च से गर्मी शुरू होकर जून तक गर्मी और आद्रता रहती है। इस समय का तापमान 43०C रहता है। जून के अंत से सितम्बर तक मानसून रहता है और भारी बारिश होती है। नदियों में बाढ आ जाती है। सडके अवरुद्ध हो जातें हैं।
जनवरी अंतिम में वर्ष में एक बार स्थानीय लोगों की घास फूस और लकडी की जरुरत को पुरा करने के लिए चितवन नेशनल पार्क में प्रतिबंध हट जाता है, तब लोग घास फूस काटते हैं। इस समय वन्य जंतुओं को निहारने का अच्छा समय होता है। इस समय ज्यादा से ज्यादा जानवर दिखाई देते हैं।
इसके अतिरिक्त सितम्बर से नवम्बर और फ़रवरी से अप्रैल के मध्य स्थानीय पक्षियों के साथ प्रवासी पक्षियाँ भी शामिल हो जाते हैं। इस समय बर्ड वाचिंग का का शानदार अवसर प्राप्त होता है। सितम्बर से नवम्बर के मध्य मानसून से हरे भरे जंगल दिखाई देते हैं । फ़रवरी से अप्रेल के मध्य पलाश के पेड़ों में खुबसूरत फुल खिलते हैं जिनका दृश्य दूर से ही मन मोह लेती है। यहाँ की अधिकांश वनस्पति में मार्च से अप्रैल के मध्य वसंत ऋतू में फुल खिलते हैं।
चितवन नेशनल पार्क उष्णकटिबंधीय मानसून जलवायु वाला क्षेत्र होने के कारण सालभर ऊंचाई पर नमी रहती है। यहाँ मुख्य रूप से तीन प्रकार के मौसम होते हैं।
ग्रीष्म ऋतू
मार्च से गर्मी की शुरूआत हो जाती है इस महीने सापेक्ष आद्रता सबसे कम होती है। अप्रैल के महीने में दिन की तुलना में रात ठंडी होती है, क्योंकि इस समय दक्षिण-पश्चमी हवाई प्रबल होती हैं। धीरे- धीरे गर्मी बढ़कर मई में अपनी चरम सीमा पर पहुँच जाती है।
वर्षा ऋतू
मई महीने के अंतिम और जून में से प्री-मानसून शुरू हो जाता हैं। इस समय दोपहर में काले बादल छाए रहते हैं । बादल गरजने के साथ बिजली चमकती है और तेज हवाए चलती है। दिन के समय में 15 -20 मिनट बारिश होती है।
जैसे ही मई महिना जून महीने में बदलता है, अब वर्षा धीरे – धीरे बढ़ने लगती है। जून के मध्य से सितम्बर तक बंगाल की खाड़ी से आने वाली मानसूनी हवाए इस क्षेत्र में भारी वर्षा करते हैं। चितवन नेशनल पार्क में 80 इंच बर्षा होती है। बरसात काल में आद्रता बहुत अधिक होती है ।
शरद ऋतू
अक्तूबर से फ़रवरी के अंत तक सर्दी रहती है। उत्तरी हिमालय से आने वाली हवाएं ठंडी होती हैं । इस समय हिम शृंखलाओ का अवलोकन करने के लिए उपयुक्त समय होता है ।
नवम्बर के महीने में प्रातःकाल सापेक्ष आद्रता 100% तक रहती है। इस लिए दिसंबर और जनवरी की रातों में ओंस गिरती है। प्रातःकाल में उठने पर पेड़ों से तथा घर के छत से बारिश की बूंद गिरने की आवाज सुनाई देती है। दोपहर में तापमान 20 – 25 डिग्री तक रहता है ।
जनवरी सबसे ठंडा महिना होता है । इस समय तापमान शून्य डिग्री से निचे आ जाता है ।
चितवन नेशनल पार्क घूमने का अच्छा समय कब है?
मध्य जून से मध्य सितम्बर तक नेपाल की 80% बारिश इसी क्षेत्र में होती है इसलिए इस समय होने वाली मानसूनी बारिश से बचने के लिए चितवन नेशनल पार्क की यात्रा सितम्बर के अंत से मई तक करना उपयुक रहता है।
अक्तूबर से मार्च के शुरुआत तक दिन में यहाँ का तापमान 25 डिग्री तक रहता है। इस समय यहाँ यात्रा करना सुखद होता है।
गर्मी बर्दाश्त कर सकते हैं तो अप्रैल और मई में यहाँ घूमने जाएँ। इस समय यहाँ का तापमान 40 डिग्री सेल्सियस तक रहता है । चितवन नेशनल पार्क में इस मौसम में जंगली जानवर गर्मी से राहत पाने के लिए नदियों और झीलों में आते हैं । इस समय जंगली जानवरों को देखने का बहुत अच्छा समय है।
सबसे अच्छा समय नवम्बर दिसंबर और जनवरी है क्योकि इस समय मौसम एकदम साफ रहता है मनोरम हिम श्रृंखलाओं के दृश्यावलोकन किया जा सकता है ।
चितवन नेशनल पार्क कैसे पहुंचे?
चितवन नेशनल पार्क पहुँचने के बहुत से तरीके हैं। उनमे से प्रमुख तरीका बस के माध्यम से है। अगर आपके पास कम समय है तो, हवाई यात्रा का विकल्प चुन सकते है। इसके अलावा आप प्राइवेट गाड़ियों में भी यात्रा कर यहाँ पहुँच सकते हैं। चितवन नेशनल पार्क का मुख्य पड़ाव सौराहा और मेघौली है। सौराहा चितवन नेशनल पार्क के नजदीक का का छोटा शहर है और पार्क में प्रवेश करने के लिए मुख्य प्रवेश द्वार यहीं से है। सौराहा में बहुत से लॉज और रिसोर्ट हैं, चितवन नेशनल पार्क घुमने वाले पर्यटक यहीं पर ठहरते हैं ।
सडक मार्ग से :-
काठमांडू से चितवन नेशनल पार्क
बस से चितवन नेशनल पार्क पहुंचने के लिए काठमांडू थमेल के नजदीक स्रोहखुट्टे बस पार्क से प्रतिदिन प्रातः 7:00 बजे टूरिस्ट बस बछ्यौली के लिए रवाना होती है। बस 5-6 घंटे की लंबी यात्रा के पश्चात बछ्यौली पहुंचाती है। बछ्यौली सौराहा के नजदीक है। यहां से 10 से 15 मिनट पैदल चलने पर सौराहा पहुंचा जा सकता है। बछ्यौली से सौराहा प्राईवेट टैक्सी में भी यात्रा कर सकते हैं।
इसके अलावा गोंगबु नया बस पार्क से प्रत्येक घंटा सौराहा और नारायणगढ के लिए गाडियां छुटती हैं। इनमें बैठकर भी आप चितवन नेशनल पार्क पहुंच सकते हैं।
भारत से चितवन नेशनल पार्क
सोनौली से :- भारत से आने वाले पर्यटकों के लिए सोनौली बार्डर पार कर आना बेहद सरल है क्योंकि देश के हर राज्य के रेलवे नेटवर्क अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। इसके अलावा प्रत्येक राज्य के नेशनल हाइवे से भी जुडा हुआ है।
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पहले गोरखपुर पहुंचे फिर वहां से सोनौली बॉर्डर क्रोस कर नेपाल के बेलहिया बस पार्क में पहुंचकर नारायणगढ़ आयें। यदि बेलहिय से आपकी गाड़ी मिस हो जाये तो यहाँ से 25 किलोमीटर दूर बुटवल आयें यहाँ पश्चिम से आने वाली बहुत सी बसें मिल जाती हैं । बुटवल से फिर नारायणगढ़ आयें।
बुटवल से नारायणगढ़ 4:30 घंटे का सफ़र है और दुरी 121 किलोमीटर है। नारायणगढ़ शहर सौराहा से 20 किलोमीटर है। नारायणगढ़ से सार्वजानिक बसे एवं प्राइवेट टैक्सियाँ मिल जाती है जो आपको सौराहा पाहुंचा देंगी ।
हवाई मार्ग से
काठमांडू से चितवन नेशनल पार्क
काठमांडू से प्रतिदिन 8 बजे प्रातः से दोपहर 3:30 बजे तक बुद्ध एअरलाइंस और यति एअरलाइंस की घरेलू उड़ानें भरतपुर एअरपोर्ट में होती हैं। जहाज में बैठकर काठमांडू से भरतपुर पहुंचने में 30 मिनट का समय लगता है। भरतपुर से सौराहा 16 किलोमीटर है। बस, या प्राइवेट गाडी में बैठकर सौराहा पहुंच सकते हैं।
हेलिकॉप्टर से चितवन नेशनल पार्क
काठमांडू से चितवन नेशनल पार्क हेलिकॉप्टर के माध्यम से भी पहुंचा जा सकता है। अगर आपके पास समय कम है, आपका बजट भी ठीक-ठाक है तो काठमांडू घाटी और तराई के शानदार दृश्यावलोकन करने के लिए हेलिकॉप्टर चार्टर्ड करना उचित है। हेलिकॉप्टर में एक साथ 5 लोग बैठ सकते हैं। एकतर्फा उडान का एक लाख अस्सी हज़ार रूपए मात्र लगते हैं जिसमें एक व्यक्ति बराबर छत्तीस हजार रुपए लगते हैं। हेलिकॉप्टर बुक ट्रेवल एजेंट करते हैं।
भारत से चितवन नेशनल पार्क
भारत से हवाई यात्रा कर चितवन नेशनल पार्क पहुंचने वाले यात्रियों के लिए हवाई टिकट बुकिंग कर इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा दिल्ली से त्रिभुवन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा काठमांडू आएं फिर यहां से बुद्ध एअरलाइंस या यति एअरलाइंस का टिकट लेकर भरतपुर आएं। यहां से बस या टैक्सी में बैठकर सौराहा पहुंचे।
रेल मार्ग से
नेपाल में वर्तमान समय में राष्ट्रिय रेल प्रणाली का विस्तार नहीं हुआ है। नेपाल में वर्तमान में जनकपुर और जयनगर के मध्य ही रेल सेवा है। रेल से यात्रा करने वाले पर्यटक रेल से वाराणसी या गोरखपुर आते हैं फिर वहां से बस में सोनौली आकर बॉर्डर पर कर बेलहिया या बुटवल से नारायणगढ़ पहुंचकर सौराहा जाते हैं।
FAQ
Q-चितवन राष्ट्रिय उद्यान कहाँ स्थित है ?
Ans- नेपाल के दक्षिण मध्य तराई में स्थित है।
Q- हम चितवन राष्ट्रिय उद्यान क्यों जाना चाहिए?
Ans- चितवन नेशनल पार्क कई लुप्तप्राय जंगली जानवरों की प्रजाति एक सींग वाले गैंडे, मगरमच्छ, घड़ियाल, मार्श मगरमच्छ, मीठे पानी की गंगा डॉलफिन का घर है।
Q-चितवन राष्ट्रिय उद्यान में कितने बाघ हैं ?
Ans- वयस्क 93 रॉयल बंगाल टाइगर हैं।
Q-चितवन राष्ट्रिय उद्यान की क्या विशेषताएं हैं ?
Ans-चितवन राष्ट्रिय निकुंज ने उत्तर के पहाड़, रिऊ नदी, राप्ती नदी और नारायणी नदी के कुछ भू- भाग को अपने में समेटा हुआ है। 70% साल के जंगल से ढका चितवन राष्ट्रिय उद्यान नेपाल का पहल एवं पर्यटन स्थल भी है। इस राष्ट्रिय उद्यान का क्षेत्रफल 952.63 वर्गकिलोमीटर है।
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